Mother’s Day के दिन तिरंगे में लिपटकर आई इकलौते बेटे की देह, फूट-फूटकर रोने लगी मां, 7 साल के बेटे ने दी मुखाग्नि
Last Rites Of Surendra Moga: बस एक बार चेहरा दिखा दो। मैं खुद को समझा लूंगी। आंसुओं के सैलाब के बीच वीरांगना सीमा ने जब ताबूत में शहीद सुरेन्द्र मोगा का पार्थिव शरीर देखा तो लिपटकर रोने लगी और रूंधे गले से बोली ‘उठ जा यार… प्लीज एक बार तो उठ जा।
फूट-फूटकर रोती मां, गोले में कपड़ों से लिपटकर रोती पत्नी और अंतिम विदाई देते बच्चों की इस तस्वीर ने सबको रुला दिया।
Operation Sindoor: झुंझुनूं मेहरादासी के लाडले शहीद सुरेन्द्र कुमार मोगा की पार्थिव देह जैसे ही मंडावा पहुंची, माहौल गमगीन हो गया। डंडों के बालाजी मंदिर से शुरू हुई 8 किलोमीटर लंबी तिरंगा यात्रा में हजारों लोग शामिल हुए। भारत माता की जय और शहीद सुरेन्द्र अमर रहें के नारों से आसमान गूंज उठा। पार्थिव शरीर जैसे ही उनके गांव मेहरादासी स्थित घर पहुंचा, पत्नी सीमा बार-बार उनके गाल थपथपाकर उठाने की कोशिश करती रही, उठो सुरेन्द्र, प्लीज उठो…। फिर जय हिन्द कहते हुए वह बेसुध होकर ज़मीन पर गिर पड़ी।
घर में मां नानू देवी, बेटा दक्ष, बेटी वृतिका और बहनें बिलख-बिलखकर रो रही थीं। राजकीय सम्मान के साथ शव यात्रा को गांव के सार्वजनिक चौक तक ले जाया गया। वायुसेना के ग्रुप कैप्टन विनय भारद्वाज के नेतृत्व में वायुसेना और पुलिस की टुकड़ियों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया। अंतिम संस्कार का सबसे भावुक क्षण तब आया, जब 7 वर्षीय दक्ष ने अपने पिता को सैल्यूट करते हुए कहा जय हिंद पापा…और उन्हें मुखाग्नि दी। यह दृश्य देखकर वहां मौजूद हर किसी की आंखें नम हो गईं।
एयरफोर्स में मेडिकल असिस्टेंट सार्जेंट रहे सुरेन्द्र मोगा ने 9 मई की रात करीब 12 बजे पत्नी सीमा से आखिरी बार फोन पर बात की थी। बातचीत के दौरान सीमा ने पाकिस्तान की ओर से आ रहे ड्रोन को लेकर चिंता जताई, जिस पर सुरेन्द्र ने आश्वस्त किया सब कुछ ठीक है, मैं सुरक्षित हूं। उसी रात उनकी बेटी वृतिका ने भी करीब 9 बजे पिता से बात की थी। लेकिन किसे पता था कि यही उनकी अंतिम बातचीत होगी।
शहीद की बेटी वृतिका ने भी बताया कि उसकी रात नौ बजे के लगभग पिता से बात हुई थी। तब उन्होंने बताया था कि यहां सब कुछ सेफ है। मैं सुरक्षित हूं। बेटी ने कहा कि दुश्मनों ने मेरे पापा की जान ली है, मैं फौज में जाऊंगी और पापा के दुश्मनों से बदला लूंगी। पापा की तरह फौजी बनूंगी: चुनचुनकर बदला लूंगी। मेरे पापा बहुत अच्छे थे.. मेरे पापा ने देश की रक्षा की है। अब पूरा पाकिस्तान खत्म होना चाहिए।
अप्रेल में किया था गृह प्रवेश, तिरंगे में लिपटकर लौटा इकलौता बेटा
वायु सेना में मेडिकल असिस्टेंट सार्जेट सुरेन्द्र मोगा की इच्छा थी कि वे रिटायरमेंट होने के बाद शहर की भीड़ से दूर गांव में रहें। इसके लिए अपने पुराने मकान को ठंडा करवाकर उसी जगह लाखों रुपए खर्चकर नया मकान बनवाया था। गांव वाले टोकते थे, इतना बड़ा मकान गांव में क्यों बना रहा है।
शहर में बनवाना चाहिए। सभी को वह एक ही जवाब देता था, ड्यूटी शहरों में हुई है। अब गांव में सुकून के साथ रहूंगा। लेकिन किसी का क्या पता था कि उसका यह सपना कभी पूरा नहीं होगा। अप्रेल में नए मकान का गृह प्रवेश किया था। अनेक लोगों को कार्यक्रम में बुलाया था। पंद्रह अप्रेल को वह ड्यूटी पर वापस गया था। तब मां से कहा था कि घर का रंग रोगन बच गया है, अगली बार छुट्टी पर जब गांव आऊंगा, तब रंग रोगन करवाके मकान को चकाचक बनवा दूंगा। लेकिन किसी का क्या पता था कि गृह प्रवेश के बाद वह आएगा तो जरूर लेकिन तिरंगे में लिपटकर।
पांच लाख का चेक सौंपा
वायुसेना के ग्रुप कैप्टन विनय भारद्वाज के नेतृत्व में वायुसेना व पुलिस की टुकड़ियों ने गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया। वहीं शहीद के पुत्र दक्ष ने मुखाग्नि दी। अंत्येष्टि के बाद जिले के प्रभारी मंत्री ने वीरांगना सीमा को राज्य सरकार की तरफ से 5 लाख रुपए की सहायता राशि का चेक सौंपा।
दुबारा आंख उठाकर नहीं देखे पाकिस्तान
सुरेन्द्र के ताऊ व सेना से रिटायर्ड फौजी जगदीश मोगा ने कहा कि जब दुश्मन अटैक कर रहा है तो हमे भी उसके सैन्य ठिकानों, बंदरगाहों व तेल डिपो उडा देने चाहिए। उनकी सेना को टार्गेट बनाकर हमले करने का वक्त आ गया है।
ग्रामीणों व परिवार के सदस्यों ने बताया कि सुरेन्द्र की ड्यूटी सुबह करीब छह बजे पूरी होनी थी। इससे कुछ समय पहले ड्रोन जैसा कुछ आया, सुरेन्द्र जहां कार्यरत थे वहां धमाका हुआ और वे शहीद हो गए।
अंतिम संस्कार के दिन अनेक लोग इसकी चर्चा करते रहे। वहीं अनेक लोगों ने कहा कि पाकिस्तान को सबक सिखाना ही होगा। हमें डिफेंस छोड़कर अब हमलावर बनना होगा। सबक ऐसा सिखाएं ताकि वह दुबारा भारत की तरफ आंख उठाकर नहीं देखें। ग्रामीणों ने कहा हमारी मां व बेटियां कब तक उसकी हरकतों का दर्द सहती रहेंगी?
अंतिम विदाई में महिलाएं भी आई, छतों से गूंजे नारे
अमूमन गांवों में अंतिम संस्कार में महिलाएं कम ही शामिल होती है, लेकिन अपने लाडले के अंतिम दर्शन करने व सम्मान में सैकड़ों की संख्या में महिलाएं व युवतियां भी आई। अनेक युवतियों ने छत पर चढकर जय हिन्द, हिन्दुस्तान जिंदाबाद, शहीद सुरेन्द्र अमर रहे के जयकारे लगाती रही। अंतिम संस्कार में मेहरादासी के अलावा आस-पास के अनेक गांवों के लोग भी शामिल हुए।
परिजनों को ढांढस बंधाया, पुष्पचक्र अर्पित किए
झुंझुनूं जिले के प्रभारी मंत्री अविनाश गहलोत ने प्रदेश के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की तरफ से शहीद के परिजनों को ढाढ़स बंधाया और पुष्पचक्र अर्पित करते हुए संवेदना व्यक्त की। शहीद सुरेंद्र कुमार को उप मुख्यमंत्री डॉ प्रेमचंद बैरवा, सैनिक कल्याण एवं युवा और खेल मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़, नगरीय विकास राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार झाबर सिंह खर्रा, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली, पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष एवं लक्ष्मणगढ़ विधायक गोविंद डोटासरा, सांसद बृजेंद्र ओला,
झुंझुनूं विधायक राजेंद्र भांबू, नवलगढ़ विधायक विक्रम सिंह जाखल, खेतड़ी विधायक धर्मपाल गुर्जर, मंडावा विधायक रीटा चौधरी, उदयपुरवाटी विधायक भगवानाराम सैनी,मदरसा बोर्ड के चेयरमैन एमडी चोपदार, फतेहपुर विधायक हाकम अली, चौमू विधायक शिखा मील बराला, भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष मुकेश दाधीच, कलक्टर रामावतार मीणा, एसपी शरद चौधरी, एडीएम अजय आर्य, जिला प्रमुख हर्षिनी कुलहरी, बनवारी लाल सैनी, नवलगढ़ प्रधान दिनेश सुंडा, पूर्व सांसद नरेंद्र कुमार, पूर्व सांसद संतोष अहलावत, सुभाष पूनिया, पूर्व विधायक शुभकरण चौधरी, राजस्थान विवि के पूर्व अध्यक्ष राजपाल शर्मा, राजेश बाबल, सुशीला सीगड़ा, भाजपा के जिला उपाध्यक्ष प्यारे लाल ढूकिया, दयानंद ढूकिया, विशंभर पूनिया, पवन मावंडिया, खलील बुडाना, मुरारी सैनी, नरेन्द्र झाझड़िया समेत पूर्व सैनिकों, जनप्रतिनिधियों व आमजन ने पुष्पचक्र अर्पित किए।