Rajasthan: तिरंगा यात्रा के साथ घर पहुंची जवान की पार्थिव देह तो रो पड़ी वीरांगना, 8 साल के बेटे ने सैल्यूट करके पिता को दी मुखाग्नि
Last Rites Of Jawan: त्रिपुरा में सेवा के दौरान अचानक दुनियां छोड़ चले त्रिपुरा स्टेट राइफल्स की तीसरी बटालियान में राइफलमैन रहे कुलदीप पूनियां चिरनिंद्रा में सो गए और पीछे छोड़ गए गर्व और देश भक्ति की मिसाल और छोड़ गए अपना परिवार।
हरपालु सवाल में शहीद को गार्ड ऑफ ऑनर पेश करते जवान (फोटो: पत्रिका)
Indian Army soldier Martyr Kuldeep Poonia: सादुलपुर के निकटवर्ती गांव हरपालु सावल के लाल और भारतीय सेना के जवान कुलदीप पूनियां को त्रिपुरा में ड्यूटी के दौरान खो देने का समाचार ज्योंही गांव पहुंचा तो हर कोई गमगीन हो गया।
शनिवार को त्रिपुरा में सेवा के दौरान अचानक दुनियां छोड़ चले त्रिपुरा स्टेट राइफल्स की तीसरी बटालियान में राइफलमैन रहे कुलदीप पूनियां चिरनिंद्रा में सो गए और पीछे छोड़ गए गर्व और देश भक्ति की मिसाल और छोड़ गए अपना परिवार। इस तरह से कुछ कहते हुए ग्रामीण जनों ने अपने लाडले को याद किया। गांव की गलियों में सन्नाटा छाया रहा था घर में कोहराम मचा हुआ था। इसी बीच तिरंगा यात्रा के साथ जवान कुलदीप की पार्थिव देह घर पहुंची तो मां अपने लाल को पत्नी अपने पति, बहन अपने भाई को पुकार उठी। गांव के लोग उन्हें संभालते नजर आए तो उनकी भी आंखे सजल हो उठी। जब 8 वर्षीय पुत्र ने अपने पिता को सैल्यूट किया तो लोग भावुक हो उठे।
टूटा दुखों का पहाड़
कुलदीप पूनियां ने 19 अक्टूबर 2009 को भारतीय सेना में भर्ती हुए। वर्तमान में त्रिपुरा राइफल्स में तैनात थे। ड्यूटी के दौरान अचानक उनकी हृदय गति रुक गई और वे चिरनिद्रा में सो गए। गांव का लाडला बेटा कुलदीप अपने परिवार ही नहीं, पूरे गांव के लिए एक आदर्श व्यक्तित्व के प्रेरक थे। उनके पिता राजेंद्र पूनिया के दो पुत्र थे, एक पहले और अब दूसरे भी चले गए। परिवार पर मानो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा हो।
सादुलपुर शहीद के अंतिम दर्शन के लिए विलाप करती परिवार की सदस्य। (फोटो: पत्रिका) कुलदीप पूनियां की शादी 13 वर्ष पूर्व लबोर बड़ी गांव की ममता से हुई थी। इस दुखद घड़ी में ममता का रो-रोकर बुरा हाल है और वह बेसुध हो गई हैं। उनके 8 वर्षीय पुत्र नक्षु को अब भी इस बात का पूरा एहसास नहीं है कि उसके सिर से पिता का साया उठ गया है।ग्रामीणों ने बताया कि कुलदीप बेहद विनम्र, मेहनती और सेवा भाव से ओतप्रोत व्यक्ति थे।
वे हमेशा गांव के युवाओं को सेना में जाने के लिए प्रेरित करते थे। जहां एक ओर उनकों खोने का दुख था, वहीं दूसरी ओर पूरे गांव को उन पर गर्व भी है वे देश की रक्षा के लिए अग्रणीय रहे।
जहां शहीद स्मारक से गांव तक तिरंगा यात्रा में लोगों की भीड़ में पड़ी वहीं यात्रा में बड़ी संया में युवक, महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग शामिल हुए। जैसे ही जवान कुलदीप का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा, घर में कोहराम मच गया। पत्नी ममता, पिता राजेंद्रसिंह पूनिया और दादी ने रोते-बिलखते हुए अंतिम दर्शन किए।
शहीद पिता को श्रद्धांजलि अर्पित करता 8 वर्षीय पुत्र (फोटो: पत्रिका) उनका 8 वर्षीय पुत्र नक्शु बार-बार अपने पिता को पुकारता रहा, अपने नन्हे हाथों से अपने पिता को मुखाग्नि दी। तो हर किसी की आंखें नम थी। पुलिस प्रशासन और सेना के अधिकारियों की मौजूदगी में उन्हें सैन्य समान के साथ अंतिम विदाई दी गई। पुलिस के जवानों ने दो राउंड फायरिंग कर सलामी दी। इस मौके पर हमीरवास थानाधिकारी जयकुमार भादू और पुलिस स्टाफ ने पुष्प अर्पित किए।
सांसद और विधायक ने पुष्प किए अर्पित
सांसद राहुल कस्वां ने पुष्प अर्पित किए और कहा कि कुलदीप पूनिया देश की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहे। उन्होंने कहा कि उन्हें गर्व है कि क्षेत्र के युवाओं में सेना में भर्ती होने का जज्बा है। विधायक मनोज न्यांगली ने कहा कि तहसील क्षेत्र वीरों की धरती है यहां का किसान और जवान बड़ी ताकत के साथ अपने हक ओर अधिकारों की लड़ाइयां में शामिल रहता है। गांव हरपालु के लाडले कुलदीप ने बहादुरी की साथ देश की सेवा की।
अर्पित किए श्रद्धासुमन
पूर्व विधायक नन्दलाल पूनियां, डॉ कुलदीप पूनियां, एएसपी किशोरी लाल, तहसीलदार धीरज झाझड़िया, भाजपा नेता जोगेंद्र झाझडिया, डॉ.कौशल पूनियां आदि ने श्रद्धासुमन अर्पित किए। शहीद के पिता को राष्ट्रीय ध्वज प्रदान करते सेना अधिकारी (फोटो: पत्रिका)
ग्रामीण और युवाओं की उमड़ी टोलिया
राइफलमैन रहे कुलदीप पूनियां का पार्थिव शरीर रविवार सुबह शहीद स्मारक पहुंचा। जहां युवाओं और ग्रामीणों की भीड़ उमड़ी। यहां पुलिस प्रशासन ने उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए। इसके बाद कुलदीप अमर रहे, भारत माता की जय’ भारत जिंदाबाद के नारों के साथ तिरंगा यात्रा निकाली गई। फूलों से सजे वाहन पर जवान की पार्थिव देह रखी हुई थी। सैकड़ों दोपहिया वाहनों पर युवा हाथों में तिरंगा लेकर भारत माता के जयकारों के साथ चल रहे थे। वही रास्ते में लोग फूल बरसा कर स्वागत कर रहे थे। 16 किलोमीटर की दूरी तय कर गांव में तिरंगा यात्रा पहुंची। ग्रामीणों ने भी अपने लाडले को अंतिम विदाई दी। अंतिम यात्रा में गांव ही नहीं बल्कि आसपास के गांव के लोगों ने भी उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
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