राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2019-21 के आंकड़े के अनुसार राजस्थान में 25.4 प्रतिशत महिलाओं का विवाह 18 वर्ष की आयु से पहले हो रहा है। शहरी क्षेत्रों में यह आंकड़ा 15.1 प्रतिशत है। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 28.3 प्रतिशत तक पहुंच गया है। बाल विवाह पर अंकुश लगाने के लिए प्रशासन और पुलिस हर साल खूब प्रयास करते हैं। इसके बावजूद बाल विवाह निरंतर होते जा रहे हैं। आज भी ग्रामीण अंचल में बाल विवाह की संख्या बहुत ज्यादा है। प्रदेश में आखातीज को अबूझ मुहूर्त माना जाता है। इस दिन ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत अधिक संख्या में बाल विवाह होते हैं, जिन्हें रोक पाना शायद प्रशासन और पुलिस के भी बूते से बाहर है। इसके अलावा पीपल पूर्णिमा पर भी बड़ी संख्या में विवाह होते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में इन तिथियों पर बाल विवाह के मामले अधिक देखे जाते हैं। वहीं वर्ष 2023-24 में किए गए सर्वे के आंकड़े अब तक जारी नहीं हुए हैं।
फै क्ट फाइल- झालावाड़ जिले में इतने बाल विवाह रूकवाए – जिले में 1 अप्रेल 2024 से मार्च 2025 तक- 26 – जिले में1 अप्रेल से 2025 से मार्च 2025 तक- 16
प्रदेश में बाल विवाह की स्थिति शर्मनाक
चित्तौडगढ़़ 42.6 प्रतिशत भीलवाड़ा 41.8 प्रतिशत झालावाड़ 37.8 प्रतिशत उदयपुर 18.2 प्रतिशत कोटा 13.2 प्रतिशत श्रीगंगानगर 13.6 प्रतिशत देशभर में बाल विवाह
पश्चिम बंगाल 41. 6 प्रतिशत बिहार 40.8 प्रतिशत त्रिपुरा 40.1 प्रतिशत झारखंड़ 32.2 प्रतिशत असम 31.8 प्रतिशत आंध्रप्रदेश 29.3 प्रतिशत तेलंगाना 23.5 प्रतिशत राजस्थान 25.4 प्रतिशत
सामूहिक रूप से करते हैं कार्रवाई-
जिले में कहीं भी बाल विवाह की सूचना मिलती है, तो चाइल्ड लाइन व जिला प्रशासन सामूहिक रूप से कार्रवाई कर बालिका के परिजनों के साथ समझाईश करते हैं। वो बाल विवाह नहीं करने के लिए पाबंद करते हैं। जिले में 1 अप्रेल 2024 से मई 2025 तक 42 बाल विवाह रूकवाए गए है।
परिजनों को कर रहे पाबंद-
जिले में बाल विवाह रोकथाम के लिए विभाग नियमित रूप से कार्रवाई कर रहा है। चाइल्ड लाइन व जिला प्रशासन ने मिलकर अभी डेढ़ साल में 40 से अधिक बाल विवाह रूकवाए है। सूचना पर परिजनों को पाबंद करवाकर बाल विवाह रूकवाते हैं, स्कूलों व ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता कार्यक्रम करते हैं।
सुरेन्द्र पूनिया, सहायक निदेशक, जिला बाल संरक्षण इकाई, झालावाड़।