राजस्थान के इस जिले में हर महीने 100+ लोगों को काट रहे श्वान, बिल्लियों से भी रैबिज फैलने का डर
आवारा कुत्तों की मौजूदगी के कारण बच्चों का घरों से बाहर खेलना मुश्किल हो गया है। सबसे ज्यादा परेशानी सुबह और रात में होती है। कई अनजान लोगों को देखते ही उन पर दौड़ पड़ते हैं।
सावधान! बिलासपुर में बढ़ा श्वानों का आतंक(photo-patrika)
झालावाड जिले में बदलते मौसम में डॉंग बाइट की घटनाए बढ़ गई है। एसआरजी चिकित्सालय में हर माह करीब 100 से अधिक मरीज डॉग बाइट के पहुंच रहे हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों को हटाने के आदेश दिए है। बावजूद इसके नगर परिषद ने इस दिशा में अभी कोई काम शुरू नहीं किया है। प्रदेशभर में पिछले वर्षों में आवारा कुत्तों के काटने की घटनाएं तेजी से बढ़ी है।
शहर के 45 वार्डों में बड़ी संख्या में आवारा कुत्ते हैं। प्रत्येक वार्ड में औसतन 150 से 250 आवारा कुत्ते हैं। यह मुख्य मार्गों व गलियों में बैठे रहते हैं। आवारा कुत्तों की मौजूदगी के कारण बच्चों का घरों से बाहर खेलना मुश्किल हो गया है। सबसे ज्यादा परेशानी सुबह और रात में होती है। कई अनजान लोगों को देखते ही उन पर दौड़ पड़ते हैं। इससे बचने के लिए कई बार बाइक चालक गिरकर घायल भी हो चुके हैं। ऐसे में नगर परिषद आवारा कुत्तों को नियंत्रित करने का अभियान चलाएं तो शहरवासियों को इनसे राहत मिले।
कुत्तों के काटने का कारण
विशेषज्ञों के अनुसार अधिकतर हमले स्ट्रीट डॉग्स करते हैं। मुख्य वजह है उनका गंदे खाद्य पदार्थों का सेवन करना। साथ ही, कुत्तों के व्यवहार में बदलाव भी देखा गया है, क्योंकि उनकी जनसंख्या लगातार बढ़ रही है। खासकर बरसात के मौसम में कुत्ते अधिक आक्रामक हो जाते हैं और थोड़ी भी असहजता महसूस होने पर हमला कर देते हैं।
बिल्लियां भी बड़ी चुनौती
जानकारों ने बताया कि कुत्ते ही नहीं इंसानों को बिल्लियों से भी बहुत ज्यादा खतरा है। झालावाड़ जिले में लोग अभी बहुत ज्यादा बिल्लियां पाल रहे हैं। अकेले झालावाड़ शहर में करीब 400 से अधिक पालतू बिल्लियां है, जिनको पालने वाले एंटी रैबिज इंजेक्शन नहीं लगवा रहे हैं। ऐसे में कुत्तों की तरह इंसानों को खतरा बिल्लियों से भी है। पालतू बिल्ली आवारा बिल्ली के काटने से उसमें भी रैबिज फैलने का डर बना हुआ है। जिलेभर में इस समय करीब 700-800 पालतू बिल्लियां है।
क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने स्ट्रीट डॉग्स को सड़कों पर खाना खिलाने को लेकर सख्त टिप्पणी की थी। कोर्ट ने कहा कि अगर किसी को कुत्तों की सेवा करनी है, तो उन्हें अपने घर में शेल्टर बनाकर खिलाना चाहिए,न कि सार्वजनिक स्थानों पर। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि राज्य प्रशासन को इंसानों और जानवरों दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी। वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को इस दिशा में ठोस नीति बनानी चाहिए, जिसमें स्थानीय निकायों और पशु कल्याण संगठनों की भागीदारी सुनिश्चित हो। 2025 में अब तक कई शहरों में कुत्तों के काटने की घटनाएं रिपोर्ट की गई हैं।
एक्सपर्ट व्यू-
आवारा कुत्तों से स्वयं व बच्चों को दूर रखें। अगर किसी को आवारा कुत्ता काट लेता तो उस स्थान को अच्छे से साबुन से धोकर जल्दी ही अस्पताल जाकर एंटी रैबीज इंजेक्शन लगवाएं। अगर किसी के पालतू डॉग को आवारा कुत्ते काट लेते है तो उसको इंजेक्शन लगवाएं। कुत्तों को हर छह माह में रैबीज का टीकाकरण करवाएं।
शहर में कुत्तों को नियंत्रित करने के लिए मेल व फीमेल दोनों की नसबंदी करवाना चाहिए।बारिश व सर्दी का ठंडा मौसम होता है इसमें ये ज्यादा अग्रेसिव होते हैं। इसमें डॉग बाइट के केस ज्यादा आते हैं। रैबीज वाले कुत्ते या अन्य जानवर में लार गिरना, मन से डर खत्म हो जाना, आवाज भारी हो जाना ये रैबीज के लक्षण है। जयपुर की तरह यहां भी एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम चलाकर इनकी संख्या को कम किया जा सकता है।