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जैसलमेर

ऐसे तो सुधरने की बजाए बिगड़ रही है व्यवस्था, नाले-नालियों का कचरा बाहर निकाल छोड़ रहे

स्वर्णनगरी की साफ-सफाई व्यवस्था की एक खामी बहुत पुरानी है और वह यह है कि, सफाईकर्मी नाले और नालियों की सफाई करने के बाद उसमें से निकले कीचड़, पॉलीथिन, प्लास्टिक व कांच की बोतलें, मिट्टी और अन्य कूड़ा करकट वहीं पास में छोड़ देते हैं।

जैसलमेरJun 09, 2025 / 08:11 pm

Deepak Vyas

स्वर्णनगरी की साफ-सफाई व्यवस्था की एक खामी बहुत पुरानी है और वह यह है कि, सफाईकर्मी नाले और नालियों की सफाई करने के बाद उसमें से निकले कीचड़, पॉलीथिन, प्लास्टिक व कांच की बोतलें, मिट्टी और अन्य कूड़ा करकट वहीं पास में छोड़ देते हैं। इसके पीछे उनका तर्क होता है कि, जब यह अपशिष्ट सूख जाए तब उठाने में आसानी होती है लेकिन हद तो तब हो जाती है, जब कई-कई दिनों तक नाले-नालियों के किनारे से कूड़े को उठाने की याद नहीं आती है। वह सारी गंदगी व अनुपयोगी चीजें सडक़ों व ेगलियों में पुन: फैल कर पूरे वातावरण को बदबूमय बना देती हैं। मौजूदा समय में गड़ीसर चौराहा से एयरफोर्स चौराहा तक मुख्य मार्ग के दोनों ओर बने बड़े नाले के आसपास इसी तरह के दृश्य आम हो गए हैं। अन्य इलाकों में भी यही कारगुजारी सामने आती है। नगरपरिषद के जिन अफसरों पर सफाई व्यवस्था की मोनेटरिंग करने की सीधी जिम्मेदारी है, वे फील्ड में कभी कभार ही नजर आते हैं। सारी व्यवस्था को ठेके पर या एक दूसरे के हवाले कर दिया गया है।

तस्वीर कर रहे बदरंग

जैसलमेर जैसे खूबसूरत शहर को निहारने देश-दुनिया के सैलानी आते हैं। एक तरफ प्रशासन व नगरपरिषद की ओर से सौन्दर्यकरण के कई कार्य करवाए जा रहे हैं तो दूसरी ओर सफाई व्यवस्था को दुरुस्त बनाए रखने के दृष्टिकोण से स्थिति निराशाजनक ही है। नाले व नालियों का कूड़ा करकट बाहर निकाल कर वहीं छोड़ दिए जाने से संबंधित पूरे क्षेत्र में वातावरण दुर्गंध से भर जाता है। इसके अलावा सूखने पर पॉलीथिन, बोतलें व मिट्टी चारों तरफ फैल रही है।

इच्छाशक्ति की कमी

नगरपरिषद के पास जैसलमेर जैसे महज 5 किलोमीटर के दायरे में फैले शहर की सफाई व्यवस्था के लिहाज से करोड़ों रुपए की मशीनरी है। सैकड़ों की तादाद में स्थाई व ठेके पर लगे कार्मिकों की फौज है। इसके बावजूद जगह-जगह कचरा व गंदगी नजर आ जाती है। दरअसल, जिम्मेदारों में इच्छाशक्ति और उच्चाधिकारियों की तरफ से मोनेटरिंग की कमी के चलते यह समस्या विकराल होती चली गई है। कुछ प्रमुख सडक़ों पर दिन में दो बार बुहारी फेर दी जाती है लेकिन अंदरूनी हिस्सों से लेकर शहर की आवासीय कॉलोनियों व कच्ची बस्तियों आदि में सफाई व्यवस्था की तरफ किसी का ध्यान नहीं जाता। इन क्षेत्रों से आए दिन नियमित तौर पर सफाईकर्मियों के नहीं आने की शिकायतें मिलती हैं।

बेअसर साबित हो रही हमारी आवाज

नालों की अव्वल तो सफाई नहीं होती और लम्बे अंतराल के बाद जब कभी यहां से कचरा व अन्य कूड़ा निकाला जाता है तो उसे हाथोहाथ हटाने की बजाए बाहर ही छोड़ दिया जाता है। कई बार इस संबंध में जिम्मेदारों को अवगत करवाए जाने के बावजूद समस्या का समाधान नहीं हो रहा।
  • मूलाराम, स्थानीय निवासी
बड़े नालों की भांति गलियों में बनी नालियों की सफाई भी समयबद्ध ढंग से नहीं की जाती। कभी कभार उनकी सफाई करने के बाद गंदगी वहीं छोड़ दी जाती है। जब तक उसे हटाया जाता है, वह काफी कुछ इधर-उधर बिखर जाती है।
  • मोहम्मद सलीम, स्थानीय निवासी

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