घरों के भीतर अंधेरा
घरों के अंदर अंधेरा रखा जाता है, खिड़कियों पर मोटे परदे टांगे जाते हैं और मटकों का ठंडा पानी जीवनदायिनी बन जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी तपती दोपहर में छाछ, बेल व जलजीरा पीने की परंपरा बनी हुई है। महिलाएं हल्के सूती परिधान पहनती हैं, पुरुष साफा बांधते हैं – ताकि शरीर को गर्म हवाओं से बचाया जा सके।बच्चों की छुट्टियों के दौरान खेल भी घरों तक सिमट जाते हैं। छायादार कमरों में पारंपरिक खेल जैसे गोटा, सांप -सीढ़ी या दादी-नानी की कहानियों के साथ गर्मी के दिन कटते हैं। वहीं शाम के समय, जब हवा थोड़ी ठंडी होती है, तब लोग चौक में बैठते हैं और पारंपरिक गीतों के साथ दिन की थकान मिटाते हैं।