800 वर्ष से ज्यादा प्राचीन
मंदिर के पीछे के शिलालेखों के अनुसार यह मंदिर 800 वर्ष से भी अधिक प्राचीन माना जाता है। मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग प्रतिष्ठापित है और प्रतिमाएं भी बनी हैं। बताते हैं कि खड़ीन भूमि पर मंदिर का निर्माण सदियों पहले इस इलाके में बेहद समृद्ध पालीवाल ब्राह्मणों ने करवाया। यहां आने वाले भक्तजन शिवलिंग का जलाभिषेक कर भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करते हैं।
कैसे पहुंचे
जैसलमेर मुख्यालय से सम मार्ग से खाभा होते हुए पहले नभडूंगर पहुंचा जाता है। वहां से मुहार मंदिर का रास्ता है। मंदिर तक जाने वाला मार्ग मुरडिय़ा से बना है। सावन में विशेष पूजा अर्चना
मुहार महादेव मंदिर में प्रतिवर्ष सावन मास के अवसर पर विशेष पूजा अर्चना की जाती है। भक्तजनों का उत्साह सावन के सोमवार को देखते ही बनती है। उनकी अकाट्य आस्था इस मंदिर के प्रति है।