scriptजिम्मेदारों की अनदेखी: शोपीस बन कर रह गए 45 लाख के हाइटेक कचरा पात्र | Neglect of those responsible: Hi-tech garbage containers worth Rs. 45 lakhs remained mere showpieces | Patrika News
जैसलमेर

जिम्मेदारों की अनदेखी: शोपीस बन कर रह गए 45 लाख के हाइटेक कचरा पात्र

जिम्मेदारों की अनदेखी और मॉनीटरिंग का अभाव किस तरह सार्वजनिक धन की बर्बादी का कारण बनता है, इसकी बानगी शहर में तीन जगहों पर लगाए गए हाइटेक कचरा पात्रों के रूप में देखने को मिल रही है।

जैसलमेरJun 17, 2025 / 08:33 pm

Deepak Vyas

जिम्मेदारों की अनदेखी और मॉनीटरिंग का अभाव किस तरह सार्वजनिक धन की बर्बादी का कारण बनता है, इसकी बानगी शहर में तीन जगहों पर लगाए गए हाइटेक कचरा पात्रों के रूप में देखने को मिल रही है। वर्ष 2022 में नगरपरिषद की तरफ से फिनलैंड की तर्ज पर जैसलमेर में 3 जगहों पर ये कचरा पात्र स्थापित किए गए थे। उसके बाद से उनका उपयोग न के बराबर हुआ और आज तो वे खुद कचरे में भर रहे हैं। उनका किसी तरह का उपयोग नहीं हो पा रहा है। ये कचरा पात्र अमर सागर प्रोल के बाहर महाराणा प्रताप मैदान के बाहर, चैनपुरा मोहल्ला और शिव मार्ग पर स्थापित किए गए थे। उनमें से प्रताप मैदान में वर्तमान में चल रहे पार्किंग कार्य के लिए लगाई गई आयरन की चारदीवारी के पीछे छिप गया है। उधर, चैनपुरा में पशुओं का जमावड़ा लगा रहता है वहीं, शिव मार्ग वाले कचरा पात्र के आस-पास चार पहिया वाहनों का जमघट लगा रहता है।

45 लाख किए गए थे खर्च

स्वर्णनगरी को कचरा मुक्त शहरों की गिनती में शुमार करवाने के लिए कचरा संग्रहण करने के लिए फिनलैंड की तर्ज पर मॉडर्न तकनीक से तैयार कचरा पात्रों को पहले चरण में 45 लाख रुपए खर्च कर शहर के 3 स्थानों पर लगाया गया था।
-प्रत्येक कचरा पात्र की लागत 15 लाख रुपए थी। उस समय कहा गया था कि यदि प्रयोग सफल रहा तो शहर के अन्य स्थानों पर भी इन्हें लगवाया जाएगा।
  • शहर में पहली बार लगे मॉडर्न तकनीक से भूमिगत कचरा पात्र लोगों में आकर्षण का केंद्र भी बने थे।
  • बताया गया कि इनका सही उपयोग होगा तो यह करीब 20 से 30 वर्ष तक सुरक्षित रहेंगे।
  • -स्वच्छ भारत मिशन के तहत अजमेर के एक संगठन के तकनीकी सहयोग और नगरपरिषद के सहयोग से फिनलैंड की कंपनी ने ऐसे कचरा पात्र बनाने का काम किया।
  • ये कचरा पात्र जो पूरी तरह से जमीन में समाहित है। केवल कचरा डालने के लिए जमीन से ऊपर बॉक्स लगा हुआ है।
    -लोगों को इस कचरा पात्र में खुद आकर कचरा डालकर ढक्कन बंद करना होता है, लेकिन इनका कभी कायदे से इस्तेमाल शुरू नहीं किया गया।

बैठने के लिए लगाई गई बैंच

ये कचरा पात्र देखने से लगता भी नहीं था कि ये कचरा संग्रहण के लिए लगे हैं। इसके चारों तरफ रेलिंग भी लगाई गई। कचरा पात्र की देखभाल और भरने के बाद खाली करने की जिम्मेदारी नगरपरिषद की तय की गई। इन कचरा पात्रों को मॉडर्न लुक देने के लिए स्टील की रेलिंग लगाकर बैठने के लिए चेयर भी लगाई गई। कहा गया कि लोग यहां आराम से बैठकर अखबार-मैगजीन आदि पढ़ सकते हैं या विश्राम कर सकते हैं। वर्तमान में ये पूरी तरह से धूल से भरे हैं। कचरा पात्र में कचरा संग्रहित करने के लिए नीचे एक मजबूत बैग व पानी के लिए एक टब लगा होगा। जिसमें कचरा के साथ आने वाला पानी अलग से निकालकर टब में भर जाए। लोगों को खुले में कचरा डालने की मानसिकता को बदलकर इन कचरापात्र में ही कचरा थैलियों में भरकर डालना था, लेकिन जब नगरपरिषद ने स्वयं ही इनके उपयोग की जहमत नहीं उठाई तो ये केवल फिजूलखर्ची ही साबित हुए हैं। इन कचरा पात्रों के आसपास कई बार कूड़ा करकट नजर आ जाता है।

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