scriptकरगिल दिवस: 3 पीढ़ियों से राष्ट्रभक्ति की लौ जलाए बैठा मोहनगढ़ का यह परिवार, ऐसा है फौलादी जज्बा राजेंद्र सिंह का | Jaisalmer Kargil Day Tribute Mohangarh Family Carries Torch of Patriotism Across 3 Generations Rajendra Singh | Patrika News
जैसलमेर

करगिल दिवस: 3 पीढ़ियों से राष्ट्रभक्ति की लौ जलाए बैठा मोहनगढ़ का यह परिवार, ऐसा है फौलादी जज्बा राजेंद्र सिंह का

थार की रेत में जन्मे वीर नायक राजेंद्र सिंह ने 2019 में जम्मू-कश्मीर में आतंकियों से लोहा लेते हुए प्राण न्योछावर किए। तीन पीढ़ियों से राष्ट्रसेवा में समर्पित यह मोहनगढ़ का परिवार आज भी देश के लिए जान देने को तैयार है। बलिदान की गूंज अब भी जीवित है।

जैसलमेरJul 26, 2025 / 12:09 pm

Arvind Rao

Nayak Rajendra Singh

नायक राजेंद्र सिंह (फोटो- पत्रिका)

मोहनगढ़ (जैसलमेर): थार की रेत में जन्मा, राष्ट्रप्रेम की लौ से तपकर फौलाद बना एक सपूत नायक राजेंद्र सिंह। जम्मू-कश्मीर के बटोट में साल 2019 में आतंकियों से लोहा लेते हुए मातृभूमि पर अपने प्राण अर्पित कर देने वाला यह लाल, आज भले ही हमारे बीच नहीं है, लेकिन उसके सपनों की प्रतिध्वनि इन दिनों मोहनगढ़ की हवाओं में गूंज रही है।

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राजेंद्र सिंह जैसे जवान थार की तपती रेत में पलकर राष्ट्र के लिए जलने को तत्पर रहते हैं। उनके बलिदान की गूंज देश के हर कोने में सुनी जाती है। शहीद के छोटे भाई समुंद्र सिंह भाटी की आंखों में गर्व और नमी है। वे कहते हैं, भाई की अंतिम इच्छा थी कि आतंकियों को उनके अंजाम तक पहुंचाया जाए।


सैन्य परंपरा को निभा रहा परिवार


मोहनगढ़ का यह परिवार कोई सामान्य परिवार नहीं। इस परिवार की हर पीढ़ी ने देशसेवा को अपना धर्म माना। समुंद्र बताते हैं कि उनके पिता सांवल सिंह 6 राजपूत बटालियन में हवलदार के पद से सेवानिवृत्त हुए। चाचा मनोहर सिंह भी सेना में रहे और 15 जाट रेजिमेंट से 2019 में नायक पद से सेवानिवृत्त हुए। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए राजेंद्र सिंह 15 राजपूत बटालियन में भर्ती हुए और 28 सितंबर 2019 को आतंकियों से मुकाबले में वीरगति को प्राप्त हुए।


मिल जाए अवसर तो देश के लिए जान देने को तैयार है परिवार


शहीद का परिवार आज भी उस क्षण को नहीं भूला जब सेना की ओर से यह सूचना आई थी कि राजेंद्र सिंह शहीद हो गए हैं। समुंद्र कहते हैं कि अगर मौका मिले तो वे देश के लिए फिर से खड़े हो जाएं। भाई नहीं रहे, लेकिन जोश आज भी रगों में दौड़ता है।

गत दिनों पाकिस्तान में बैठे आतंकियों पर भारतीय सेना की आतंकी ठिकानों पर सटीक और कठोर कार्रवाई ने शहीद के परिवार को एक नया संबल दिया है। उन्हें लगता है कि उनके बेटे, भाई और नायक के अधूरे स्वप्न को राष्ट्र ने साकार किया है।

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