रूस से प्राप्त आधुनिकतम एयर डिफेंस सिस्टम S-400 की तैनाती को लेकर भारत में चर्चाओं का बाजार गर्म है। इस तकनीक को भारतीय सुरक्षा विशेषज्ञ ‘आधुनिक सुदर्शन चक्र’ की संज्ञा दे रहे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि असली सुदर्शन चक्र क्या था, किसने इसे धारण किया, और श्रीकृष्ण ने इससे कैसे निर्णायक युद्धों का रुख पलटा?
क्या है सुदर्शन चक्र?
सुदर्शन चक्र हिन्दू धर्म में एक दिव्य अस्त्र है जिसे भगवान विष्णु ने धारण किया था। यह अत्यंत तीव्रगामी, घूमने वाला चक्र है जिसे कोई भी लक्ष्य भेदने में अद्वितीय माना जाता है। भगवान श्रीकृष्ण, विष्णु के अवतार के रूप में इस चक्र को धारण करते थे। पौराणिक मान्यता के अनुसार, यह चक्र विष्णु के दाहिने हाथ की तर्जनी पर स्थिर रहता है और आवश्यकता पड़ने पर केवल संकल्प से चल पड़ता है और लक्ष्य का संहार कर पुनः लौट आता है।
क्या हैं श्रीकृष्ण सुदर्शन चक्र की विशेषताएं
भगवान श्रीकृष्ण सुदर्शन चक्र धारण करते थे। जिसके चलते सभी शुत्र उनसे भयभीत रहते थे। इसे सबसे अचूक अस्त्र माना जाता था। यह अस्त्र बहुत ही शक्तिशाली था, क्योंकि छोड़े जाने के बाद शत्रु का नाश करके ही लौटता था। इस अस्त्र को किसी भी प्रकार से रोक पाना असंभव था। जब-जब श्री कृष्ण ने अपना सुदर्शन चक्र उठाया तब-तब वह बिना वार किए वापिस नहीं आया। फिर चाहे सुदर्शन से किसी का वध करने के स्थान पर उन्होंने किसी की शक्ति या अभिमान पर ही वार किया हो।
श्रीकृष्ण ने कब-कब किया सुदर्शन चक्र का उपयोग?
शिशुपाल वध (महाभारत)
राजसूय यज्ञ में जब शिशुपाल ने बार-बार श्रीकृष्ण का अपमान किया और सौ से अधिक अपराध किए, तब श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र चला कर उसका वध कर दिया।
जयद्रथ वध के लिए सूर्यग्रहण का भ्रम
ऐसा भी कहा जाता है कि महाभारत युद्ध में श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र से सूर्य को ढक दिया था, जिससे जयद्रथ ने अर्जुन से बचने की कोशिश छोड़ी और अर्जुन ने उसका वध कर दिया।
भीष्म पितामह की ओर दौड़े
महाभारत के एक प्रसंग में जब अर्जुन, भीष्म पितामह से युद्ध नहीं कर रहे थे। तब कुपित होकर श्रीकृष्ण युद्ध में नियम तोड़ते हुए रथ से उतरकर सुदर्शन चक्र लेकर भीष्म पितामह की ओर दौड़े। बाद में अर्जुन ने श्रीकृष्ण से क्षमा मांग कर भीष्म पितामह से भीषण युद्ध शुरू किया।
S-400 को क्यों कहा जा रहा है ‘आधुनिक सुदर्शन चक्र’?
S-400 रूस की विकसित की गई एक अत्याधुनिक एयर डिफेंस प्रणाली है जो 400 किमी की दूरी तक दुश्मन के फाइटर जेट, मिसाइल और ड्रोन को हवा में ही खत्म करने की क्षमता रखती है। इसकी गति, सटीकता और बहु-लक्ष्य भेदन क्षमता इसे ‘सुदर्शनचक्र’ जैसा प्रभावी बनाती है।
विशेषज्ञों के अनुसार, जिस प्रकार सुदर्शन चक्र शत्रु का विनाश करके लौट आता था, उसी प्रकार S-400 किसी भी घुसपैठ या हमले को आकाश में रोकने में सक्षम है।
राजनीतिक और सैन्य दृष्टि से इसका प्रभाव
भारत द्वारा S-400 की तैनाती न केवल सामरिक बढ़त प्रदान करती है, बल्कि इसका मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी पड़ता है। जैसे पौराणिक काल में सुदर्शन चक्र की उपस्थिति मात्र से ही शत्रु भयभीत हो जाते थे, उसी प्रकार आज यह प्रणाली शत्रु देशों के लिए एक बड़ा अवरोध बन चुकी है।
सुदर्शन यानी धर्म, न्याय और सुरक्षा की रक्षा
जहां सुदर्शन चक्र श्रीकृष्ण के हाथों से चलकर अधर्म का नाश करता था, वहीं आज S-400 भारत की सीमाओं की रक्षा में अहम भूमिका निभा रहा है। एक धार्मिक प्रतीक और एक आधुनिक तकनीक — दोनों में एक गूढ़ समानता है: धर्म, न्याय और सुरक्षा की रक्षा। क्या है S-400 मिसाइल की 10 विशेषताएं
1-S-400 मिसाइल को खतरनाक और ताकतवर एयर डिफेंस सिस्टम माना है।
2- S-400 मिसाइल सिस्टम किसी भी एयर अटैक से बचाने में सक्षम है
3– यह मिसाइल रूस से खरीदी गई थी, इसको खरीदने के लिए करीब पांच अरब डॉलर में डील की गई थी
4– S-400 मिसाइल को 2018 में खरीदा गया था। 5— इस डील में भारत ने रूस से पांच यूनिट मिसाइलों की खरीद की। 6- मिसाइल इतनी पावरफुल है कि यह एडवांस फाइटर जेट को भी मार गिरा सकती है।
7- इसके साथ ही यह मिसाइल एक बार में एक साथ 72 मिसाइल छोड़ सकती है। 8-इसकी ताकत ऐसी है कि इससे पाकिस्तान और चीन हमले की कोशिशों को भारत पहुंचने से पहले खत्म कर सकती है।
9-ये बेहद ताकतवर हथियार है और दुश्मन को मौका तक नहीं देता है। 10-S-400: भारतीय वायुसेना ने एयर डिफेंस सिस्टम एस-400 का नाम सुदर्शन चक्र रखा है। जिस प्रकार सुदर्शन चक्र शत्रु का विनाश करके लौट आता था, उसी प्रकार S-400 किसी भी घुसपैठ या हमले को आकाश में रोकने में सक्षम है।