न्यायाधीश अनूप कुमार ढंड ने मनीष सैनी की सात साल पुरानी याचिका पर यह आदेश दिया। याचिकाकर्ता ने सीकर जिले के फतेहपुर शेखावाटी की एसएम निमावत स्कूल में 12वीं कक्षा की पढ़ाई की। वर्ष 2012 में वह रसायन विज्ञान विषय में फेल हो गया। इसके बाद पूरक परीक्षा दी और उसमें भी फेल होने पर कंपार्टमेंट का फॉर्म भरा। स्कूल ने गलती से याचिकाकर्ता के आवेदन में रसायन विज्ञान के साथ भौतिकशास्त्र व गणित सहित सभी पांच विषय भर दिए। स्कूल ने पास बताकर बिना मार्कशीट टीसी (ट्रांसफर सर्टिफिकेट) जारी कर दी।
इसके बाद छात्र ने बीटेक में दाखिला लेकर पढ़ाई पूरी कर ली, लेकिन एमटेक में प्रवेश के समय उससे 12 वीं की मार्कशीट मांगी गई। स्कूल से मार्कशीट लेने पर पता चला कि उसे चार पेपर में अनुपस्थित बताकर फेल कर दिया गया। याचिका में कहा कि याचिकाकर्ता ने 12वीं कक्षा पास कर ली, लेकिन स्कूल ने आवेदन में गलती कर दी। ऐसे में सही मार्कशीट जारी की जाए। सीबीएसई ने कहा कि 5पेपर भरे थे, लेकिन परीक्षा केवल रसायन विज्ञान विषय की दी बाकी पेपर में छात्र अनुपस्थित रहा।
कोर्ट ने कहा, छात्र की गलती नहीं
कोर्ट ने रिकॉर्ड देखकर कहा कि छात्र ने आवेदन पर केवल हस्ताक्षर किए, विषय व कोड स्कूल ने भरे। स्कूल ने रसायन विज्ञान के साथ अन्य विषय भी भर दिए। ऐसे में स्कूल की गलती रही। छात्र ने बीटेक की तीन साल की पढ़ाई पूरी कर ली। स्कूल की गलती के कारण सीबीएसई को बेवजह कोर्ट आना पड़ा।