सरकार के सामने फैसले का संकट
दरअसल, इस बैठक का आयोजन राजस्थान हाईकोर्ट के निर्देशों के तहत किया जा रहा है। क्योंकि प्रदेश सरकार को 26 मई तक का समय दिया गया है कि वह SI भर्ती पर ठोस निर्णय ले। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि सरकार इस समयसीमा में कोई ठोस फैसला नहीं लेती, तो वह खुद हस्तक्षेप कर सकती है और इसकी जिम्मेदारी सीधे तौर पर संबंधित विभागों और अधिकारियों की होगी।
बैठक में इन बिंदुओं पर होगा मंथन
1. हाईकोर्ट में अब तक हुई सुनवाई और दलीलों की समीक्षा 2. पहले से तैयार कैबिनेट सब कमेटी की रिपोर्ट 3. SOG द्वारा की गई गिरफ्तारियां और सबूत 4. अभ्यर्थियों और याचिकाकर्ताओं की मांगों का परीक्षण 5. आगे की प्रक्रिया: रद्द या संशोधित भर्ती?
अभ्यर्थियों की नजरें बैठक पर
वहीं, कई अभ्यर्थियों और याचिकाकर्ताओं का कहना है कि जब कैबिनेट समिति पहले ही रिपोर्ट सौंप चुकी है, तो दोबारा बैठक की जरूरत क्यों पड़ी? उनकी प्रमुख मांग है कि पुरानी भर्ती को रद्द कर नए सिरे से पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाए।
अब तक का घटनाक्रम
RPSC ने वर्ष 2021 में 859 पदों पर SI और प्लाटून कमांडर की भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी। परीक्षा के बाद पेपर लीक की शिकायतें सामने आईं, जिसकी जांच SOG को सौंपी गई। जांच में कई गिरफ्तारियाँ हुईं, जिनमें ट्रेनी SI भी शामिल थे। भर्ती की वैधता को चुनौती देते हुए याचिकाएं हाईकोर्ट में दायर की गईं। वहीं, 18 नवंबर, 6 जनवरी और 9 जनवरी को हाईकोर्ट ने ‘यथास्थिति बनाए रखने’ के आदेश दिए। पुलिस मुख्यालय ने 10 जनवरी को आदेश जारी कर ट्रेनी SI की फील्ड ट्रेनिंग पर रोक लगा दी, जो अब तक प्रभावी है।
भर्ती को लेकर दलीलें
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि पेपर लीक की पुष्टि के बाद भर्ती को रद्द किया जाना चाहिए। एसओजी, पुलिस मुख्यालय, महाधिवक्ता कार्यालय और कैबिनेट सब-कमेटी भी भर्ती निरस्त करने की सिफारिश कर चुके हैं। दूसरी ओर, ट्रेनिंग ले रहे ट्रेनी SI का कहना है कि उनकी कोई संलिप्तता नहीं है। उन्होंने इस नौकरी के लिए अन्य अवसर छोड़े हैं और अब भर्ती रद्द होना उनके साथ अन्याय होगा।