Jaipur News : अखिल भारतीय साहित्य परिषद् जयपुर की ओर से शिक्षा संकुल परिसर में पुस्तक विमोचन एवं परिचर्चा का आयोजन किया गया। लेखक याजवेंद्र यादव की पुस्तक महासंग्राम तक यात्रा और धर्मेंद्र ‘धकू’ की कौतुक ताना पर सार्थक परिचर्चा हुई। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य वक्ता अखिल भारतीय साहित्य परिषद के सह संगठन मंत्री मनोज कुमार ने कहा प्रवृत्तियां भिन्न भिन्न प्रकार की होती हैं। महाभारत ग्रंथ में प्रत्येक मनुष्य की प्रवृत्ति का ना केवल सूक्ष्मता से वर्णन है अपितु श्रेष्ठ जीवन मूल्यों के माध्यम से उसके नियमन का भी वृतांत है।
मनोज कुमार ने कहा कि कभी आसुरी, कभी कौरवीय व आज कट्टरता रूपी संकीर्ण प्रवृत्ति विश्व में दिखाई देती है। प्रवृत्तियों को हम नष्ट नहीं कर सकते हैं उनका समन्वय ही समाधान है।
महाभारत ही गीता का जनक – मनोज कुमार
मनोज कुमार ने कहा महाभारत ही गीता का जनक है। इसकी महत्ता आज भी प्रासंगिक है। साहित्यकारों की कृति के लिए उनका सदैव प्रिय विषय रहा है महाभारत।
लेखक याजवेंद्र ने महाभारत के पात्रों की एक साथ अपनी पुस्तक में विवेचना की है, यह एक प्रकार से इस महाग्रन्थ का सरल सार है। वर्तमान समस्याओं का पार पाने के लिए महाभारत भी एक साधन है। इसके लिए यह पुस्तक जिज्ञासा एवं प्रेरणा उत्पन्न करती है। उन्होंने बताया साहित्य परिषद् समय-समय पर पुस्तक विमोचन एवं परिचर्चा गतिविधियों का आयोजन करती रहती है।
अखिल भारतीय साहित्य परिषद् जयपुर
विकास तिवाड़ी ने पुस्तक पर किया संवाद
धर्मेन्द्र ‘धकू’ की पुस्तक रेखाचित्र के माध्यम से सन्देश देने का उत्कृष्ट उदाहरण है। कौतुक ताना पुस्तक के लेखक धर्मेंद्र कुमार से चर्चा विकास तिवाड़ी ने की। तिवाड़ी ने विभिन्न विषयों एवं सामाजिक मुद्दों को लेकर पुस्तक पर संवाद किया, एवं पाठकों के प्रश्न जाने।
गीतांजलि ने किया कृष्ण–कर्ण संवाद सर्ग का वाचन
गीतांजलि गौतम ने महासंग्राम यात्रा काव्य के कृष्ण–कर्ण संवाद सर्ग का वाचन किया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों का सम्मान पौधा देकर किया गया।
देवेन्द्र भारद्वाज ने किया संचालन
कार्यक्रम के दौरान साहित्य परिषद के प्रदेश संगठन मंत्री विपिन, साहित्य परिषद के प्रदेश महामंत्री केशव कुमार शर्मा, विभाग संयोजक विकास बागड़ा कोटा के साहित्यकार विष्णु हरिहर सहित कई साहित्यकार, पत्रकार एवं प्रबुद्ध पाठक मौजूद रहे। संचालन देवेन्द्र भारद्वाज ने किया।