बड़ी संख्या में है ट्रांसजेडरों की हालत दयनीय
ट्रांसजेंडर के लाइफ स्ट्रगल पर पीएचडी कर रहे शिवराज गुर्जर का कहना है कि बड़ी संख्या में ट्रांसजेडरों की हालत दयनीय है। वे विभिन्न तरीकों से उपेक्षा का शिकार हो रहे हैं। ऐसे में उन्हें इन योजनाओं का लाभ धरातल पर मिलना चाहिए। वहीं ट्रांसजेंडर सोशल एक्टिविस्ट नूर शेखावत ने कहा कि सरकारी सिस्टम यदि ट्रांसजेंडरों को यह विश्वास दिलाए कि उनकी गोपनीयता बरकरार रहेगी तो यह योजनाएं निचले स्तर पर सकारात्मक बदलाव लाएंगी।प्रदेश में करीब एक लाख आबादी
ट्रांसजेंडर समुदाय सरकारी योजनाओं का लाभ लेने से दूर है। पहचान उजागर होने के डर के अलावा भी कई कारण हैं। छात्रवृत्ति की बात करें तो ट्रांसजेंडर विद्यार्थियों का कोई गार्जियन बनना नहीं चाहता। ये लोग दूसरे शहरों और राज्यों में बस जाते हैं। इनके पास खुद के दस्तावेज का अभाव होता है। सरकार को इनके दस्तावेज और ट्रांसजेंडर कार्ड बनवाने में सहायता करनी चाहिए। प्रदेश में ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए सर्वे होना चाहिए कि किस उम्र के कितने ट्रांसजेंडर हैं। हमारे अनुमान के मुताबिक जयपुर में करीब 5 हजार और प्रदेश में करीब एक लाख ट्रांसजेंडरों की जनसंख्या है।पुष्पा माई, ट्रांसजेंडर कार्यकर्ता
यह चल रहीं हैं योजनाएं
शिक्षा – ट्रांसजेडरों के लिए प्रारंभिक से उच्च/तकनीकी शिक्षा तक छात्रवृत्ति दी जाती है।व्यवसायिक प्रशिक्षण – ट्रांसजेंडरों को विभिन्न प्रशिक्षण प्रदाताओं के माध्यम से व्यवसायिक प्रशिक्षण देने का प्रावधान है।
रिहायशी – ट्रांसजेंडर विद्यार्थियों के आवास एवं दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए 6 हजार प्रतिमाह की सहायता।
स्वरोजगार – स्वयं का व्यवसाय शुरू करने के लिए 50 हजार रुपए तक की सहायता
चिकित्सा सहायता – लिंग परिवर्तन की सर्जरी और स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए निशुल्क उपचार।
पेंशन योजना – विशेष योग्यजन पेंशन का लाभ भी ट्रांसजेंडरों को दिया जा रहा है।
योजनाओं से जोड़ने का लगातार प्रयास जारी
ट्रांसजेंडर समुदाय को इन योजनाओं से जोड़ने का लगातार प्रयास कर रहे हैं। इनके रुचि न लेने के कारण योजनाओं के फंड का इस्तेमाल नहीं हो पाया। इस समाज के प्रतिनिधियों से चर्चा करेंगे और योजनाओं का लाभ देने का प्रयास करेंगे।रीना शर्मा, एडिशनल डायरेक्टर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग