इसलिए बढ़ सकता है लागत का आंकड़ा
पहले दावा किया गया था कि रिफाइनरी अगस्त 2025 में शुरू हो जाएगी, लेकिन अब यह अगले साल तक पूरी होने की संभावना जताई जा रही है। यही वजह है कि लागत लगातार बढ़ रही है। 72 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्चा होने के लिए तो पहले कहा जा चुका है, अब यह 1 लाख करोड़ की लागत तक आंकड़ा पहुंच सकता है।रिफाइनरी के काम को लेकर कई बार तारीख तय
बाड़मेर के पचपदरा-बालोतरा में 9 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष (एमएमटीपीए) क्षमता की लग रही इस रिफाइनरी के काम को पूरा करने को लेकर कई बार तारीख तय हो चुकी है। इस वर्ष ही पहले 31 मार्च तक शुरू करने के लिए कहा गया, बाद में अगस्त तक अवधि बढ़ी। हाल ही रिफाइनरी की समीक्षा बैठक में अब इसकी अवधि बढ़कर अगले साल तक जाने की संभावना है। रिफाइनरी के शुरू होने से पेट्रोलियम उत्पादों पर वैट लगाने से ही 2000 करोड़ रुपए का राज्य सरकार को अतिरिक्त राजस्व मिलेगा।
ऐसे बढ़ती गई अवधि और लागत
साल में 2013 में राज्य की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने सोनिया गांधी से रिफाइनरी का शिलान्यास कराया। बाद में भाजपा सरकार आई और घाटे का सौदा बताते हुए काम रोक दिया।16 जनवरी 2018 को भाजपा सरकार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों से रिफाइनरी के कार्य का शुभारंभ कराया। दावा किया गया था कि 2022 में काम पूरा हो जाएगा। लेकिन, अब तकअभी तक 88 फीसदी ही काम पूरा हुआ है। माना जा रहा है कि अगले साल तक रिफाइनरी बनकर पूरी तरह तैयार हो जाएगी। साल 2013 में लागत 37 हजार करोड़ रुपए थी, जो साल 2018 में लागत बढ़कर 43 हजार करोड़ हो गई थी। साल 2024 में लागत 72,000 करोड़ से अधिक पहुंच गई थी। देरी की वजह से अब लागत 90 हजार करोड़ रुपए पहुंच सकती है।
