scriptRajasthan: खत्म हो सकता है राजस्थान में जल संकट, लूणी-जोजरी नदी को मिलेगी नई जिंदगी, 3 जिलों को फायदा | Experts and the government together gave a new shape to the Maruganga project | Patrika News
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Rajasthan: खत्म हो सकता है राजस्थान में जल संकट, लूणी-जोजरी नदी को मिलेगी नई जिंदगी, 3 जिलों को फायदा

भूगोलविद डॉ. एन.एस. राठौड़ के अनुसार यदि यमुना और घग्घर नदियों के अतिरिक्त जल को नहरों के माध्यम से जोड़कर जोजरी-लूणी नदी में छोड़ा जाए तो राजस्थान के शुष्क क्षेत्रों में जल संकट खत्म हो सकता है।

जोधपुरAug 01, 2025 / 02:21 pm

Rakesh Mishra

Luni River

एआई तस्वीर

पश्चिमी राजस्थान की जीवनरेखा कही जाने वाली लूणी और उसकी सहायक जोजरी नदी के दिन फिर बदल सकते हैं। दशकों से सूख चुकी इन नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए विशेषज्ञों और सरकार ने मिलकर मरुगंगा परियोजना को नया स्वरूप दिया है। यह महत्वाकांक्षी योजना न केवल नदियों को बारह महीने प्रवाहमान बनाएगी बल्कि मरुस्थल को हरियाली का संदेश भी देगी।
भूगोलविद डॉ. एन.एस. राठौड़ के अनुसार यदि यमुना और घग्घर नदियों के अतिरिक्त जल को नहरों के माध्यम से जोड़कर जोजरी-लूणी नदी में छोड़ा जाए तो राजस्थान के शुष्क क्षेत्रों में जल संकट खत्म हो सकता है। इससे भूजल स्तर में वृद्धि, सिंचाई क्षेत्र का विस्तार और पीने के पानी की समस्या का स्थायी समाधान होगा।

जल क्रांति का संदेश

विशेषज्ञों का मानना है कि यह केवल एक परियोजना नहीं, बल्कि राजस्थान के भविष्य की जल क्रांति है। डॉ. राठौड़ का कहना है कि यह योजना अगर समय पर अमल में लाई गई तो यह मरुस्थल को हरियाली का उपहार देगी और आने वाले वर्षों में लूणी-जोजरी नदियां बारह महीने बहते हुए जीवन का आधार बनेंगी।

सैटेलाइट डाटा के अनुसार कृषि उत्पादन में बनेंगे आत्मनिर्भर

सैटेलाइट डाटा और भूगोल वैज्ञानिकों के सर्वेक्षण के आधार पर तैयार मरुगंगा परियोजना 1500 किलोमीटर लंबी नई जलधारा का मार्ग प्रशस्त करेगी। यह परियोजना न केवल जोधपुर, नागौर और बाड़मेर जैसे जिलों को लाभ पहुंचाएगी, बल्कि मारवाड़-मालानी क्षेत्र को भी कृषि उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाएगी। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे राजस्थान में जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव काफी हद तक कम होंगे।
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पलायन पर लग सकेगा अंकुश

वर्तमान में पश्चिमी राजस्थान के कई इलाके भूजल दोहन के कारण ‘डार्क जोन’ घोषित हैं। लेकिन इस योजना के लागू होने पर ये क्षेत्र ‘व्हाइट जोन’ में बदल जाएंगे। सिंचाई के विस्तार से खेती में नई जान आएगी और पशुपालन को भी बढ़ावा मिलेगा। साथ ही ग्रामीणों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे, जिससे पलायन पर अंकुश लगेगा।

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