क्या है संसद रत्न पुरस्कार?
‘संसद रत्न पुरस्कार’ की स्थापना प्राइम प्वाइंट फाउंडेशन ने वर्ष 2010 में की थी। इसका उद्देश्य संसद में उत्कृष्ट योगदान देने वाले सांसदों को प्रोत्साहित करना और लोकतंत्र की मजबूती में उनकी भूमिका को सार्वजनिक रूप से सराहना देना है। बता दें, यह पुरस्कार उन सांसदों को दिया जाता है जो संसद में सक्रिय रूप से बहसों में भाग लेते हैं, प्रश्न पूछकर जनसमस्याओं को उठाते हैं, प्राइवेट मेंबर बिल लाकर वैकल्पिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं और संसदीय समितियों में गंभीर और निरंतर योगदान देते हैं
कैसे होता है अवार्ड का चयन?
गौरतलब है कि संसद रत्न पुरस्कार की चयन प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष माना जाता है। एक स्वतंत्र जूरी कमेटी इसका मूल्यांकन करती है। 2025 की जूरी के अध्यक्ष राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के चेयरमैन हंसराज अहीर थे। उन्होंने बताया कि यह पुरस्कार उन सांसदों को दिया जाता है जिन्होंने लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत करने के लिए उल्लेखनीय योगदान दिया है। वहीं, मूल्यांकन पूरी तरह डाटा आधारित और निष्पक्ष प्रक्रिया से किया गया है। इस बार सांसदों का मूल्यांकन 18वीं लोकसभा की पहली बैठक से लेकर 2025 के बजट सत्र तक के आंकड़ों के आधार पर किया गया है।
राजस्थान के लिए गर्व का क्षण
मदन राठौड़ (राज्यसभा) और पीपी चौधरी (पाली लोकसभा सांसद) को संसद में उनकी सक्रियता, सवाल पूछने, मुद्दे उठाने और विधायी कामकाज में विशेष भूमिका निभाने के लिए सम्मानित किया जाएगा। यह पुरस्कार जुलाई के अंतिम सप्ताह में नई दिल्ली में आयोजित समारोह में प्रदान किया जाएगा।
किस-किसको मिला यह अवार्ड?
इस वर्ष कुल 17 सांसदों और 2 संसदीय स्थायी समितियों को यह पुरस्कार मिला है। भर्तृहरि महताब, सुप्रिया सुले, एन के प्रेमचंद्रन और श्रीरंग अप्पा बारणे को संसदीय लोकतंत्र में उत्कृष्ट और निरंतर योगदान के लिए विशेष रूप से सम्मानित किया जाएगा। अन्य चुने गए सांसदों में भाजपा के रवि किशन, स्मिता वाघ, मेधा कुलकर्णी, प्रवीण पटेल, निशिकांत दुबे, बिद्युत बरन महतो, पी पी चौधरी, मदन राठौर और दिलीप सैकिया शामिल हैं। इसके अलावा शिवसेना (यूबीटी) के अरविंद सावंत और नरेश म्हस्के, कांग्रेस की वर्षा गायकवाड़ तथा डीएमके के सी एन अन्नादुरई भी सम्मानित होंगे।
लोकतंत्र की मजबूती में सांसदों की भूमिका
बताते चलें कि ‘संसद रत्न पुरस्कार’ आज एक ऐसा मंच बन चुका है, जो जनता और संसद के बीच जवाबदेही और सक्रियता की कड़ी को मजबूत करता है। राजस्थान के सांसदों को यह सम्मान मिलना न सिर्फ राज्य के लिए गर्व की बात है, बल्कि यह अन्य जनप्रतिनिधियों को भी जनता की आवाज़ को संसद में बुलंद करने के लिए प्रेरित करता है।