ऐसे मामलों में सीधे निलंबित करने की कार्रवाई की जाएगी। इससे पहले औपचारिकता के लिए नोटिस दिया जाएगा। स्वायत्त शासन विभाग ने यह प्रस्ताव मंत्री झाबर सिंह खर्रा को भेज दिया है। मंत्री की मंजूरी मिलते ही आदेश प्रदेश भर के निकायों में प्रभावी हो जाएगा। स्वायत्त शासन विभाग ने इसके लिए होमवर्क पूरा कर लिया है।
इनकी रिपोर्ट तैयार
शुरुआती जांच में कई निकायों में ऐसे कर्मचारी-अधिकारियों को चिन्हित भी कर लिया है। इनमें उदयपुर, धौलपुर, अजमेर, जयपुर समेत कई निकायों के ऐसे कर्मचारी शामिल हैं। यह पहली बार है, जब भ्रष्टाचार और जनहित में इस तरह की कार्रवाई होगी।
ये ऑनलाइन काम
-जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र विवाह पंजीयन
-लीज डीड आवेदन
-लीज राशि भुगतान
-भू-उपयोग परिवर्तन
-भवन निर्माण स्वीकृति
-ई-नीलामी
-नगरीय विकास कर
-फायर एनओसी
-ट्रेड लाइसेंस
-डेयरी बूथ आवंटन
-नाम ट्रांसफर
-उप विभाजन-पुनर्गठन
-स्ट्रीट वेंडर पंजीयन
-मोबाइल टावर एवं ऑप्टिकल फाइबर एनओसी
ऐसे मान रहे भ्रष्टाचार
-ऑनलाइन प्रक्रिया से बचने का मतलब- पारदर्शिता खत्म, भ्रष्टाचार का रास्ता खुला।
-ऑफलाइन फाइल से ‘कैश में क्लियरेंस’ मामले।
-ऑनलाइन में डिस्पोजल टाइम निर्धारित है, लेकिन ऑफलाइन में ऐसा नहीं है।
-इससे फाइल अटकाने और लोगों को परेशान करने की आशंका रहती है।
-निकाय कार्यालयों में की गई रैंडम चेकिंग में पाया गया कि जिन कामों का ऑनलाइन स्टेटस ‘लंबित’ दिख रहा था, उनकी -फाइलें ऑफलाइन टेबल पर पड़ी थीं।
-कई मामलों में शिकायतें सरकार तक पहुंची।