आरसीडीएफ की प्रशासक और प्रबंध संचालक श्रुति भारद्वाज ने बताया कि यह सफलता सरस अमृतम, दूध का दूध पानी का पानी, एक जिला एक उत्पाद जैसे अभियानों और उत्पादों की गुणवत्ता में नवाचारों के चलते संभव हुई है। सरस घी के सभी पैक पर क्यूआर कोड लगाए जाने और मिठाई उत्पादों के एकसमान राज्यव्यापी विपणन से उपभोक्ताओं का विश्वास और बिक्री दोनों में वृद्धि हुई है।
उन्होंने बताया कि पशु आहार संयंत्रों ने भी अभूतपूर्व 77 प्रतिशत लाभ वृद्धि दर्ज की है। इन संयंत्रों से 5.1 लाख मीट्रिक टन पशु आहार का उत्पादन और विपणन हुआ है, जो दुग्ध उत्पादकों के बीच सरस ब्रांड के प्रति मजबूत विश्वास का संकेत है।
दुग्ध उत्पादों की बिक्री में शानदार बढ़ोतरी सरस घी की बिक्री में 21 प्रतिशत, लस्सी और छाछ में 18प्रतिशत, दही में 21प्रतिशत, फ्लेवर्ड मिल्क में 20 प्रतिशत और रसगुल्ले की बिक्री में 41 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। स्किम्ड मिल्क पाउडर और पनीर की बिक्री भी क्रमशः 7 प्रतिशत और 4 प्रतिशत बढ़ी है।
महिलाओं की सक्रिय भागीदारी से ग्रामीण समृद्धि
राज्य में 1637 नई बहुउद्देशीय दुग्ध सहकारी समितियों का गठन किया गया है, जिनमें 24435 महिला दुग्ध उत्पादकों को सदस्य बनाया गया है। साथ ही, 581 समितियों के सुदृढ़ीकरण से 5229 महिलाओं की आय में वृद्धि हुई है।
मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादक संबल योजना बनी सहारा
मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादक संबल योजना के तहत राज्य सरकार ने 5 रुपए प्रति लीटर की दर से 378.22 करोड़ रुपए का अनुदान सीधे किसानों के खातों में डीबीटी से हस्तांतरित किया है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बड़ा संबल मिला है।
यह दुग्ध क्रांति 2.0 न केवल राजस्थान को दुग्ध उत्पादन में अग्रणी बना रही है, बल्कि गांव-गांव में आत्मनिर्भरता और महिला सशक्तिकरण की मिसाल भी पेश कर रही है।