एक मैच से हो सकते हैं बैन
आईपीएल के नियम के मुताबिक अगर कोई खिलाड़ी अंपायर्स के फैसले का विरोध करता है या असंतोष जताता है तो उसे कई तरह की सजा मिल सकती है। अगर विरोध आक्रामक हुआ तो खिलाड़ी पर एक मैच का बैन भी लगाया जा सकता है। थर्ड अंपायर के फैसले पर बहस करना या उसका विरोध करना आईपीएल के कोड ऑफ कंडक्ट के तहत अनुशासनात्मक उल्लंघन माना जाता है। यह आर्टिकल 2.8 के तहत आता है।
किस तरह की मिलती है सजा?
अगर कोई खिलाड़ी सामान्य तौर पर अंपायर के फैसले पर असंतोष जताता है, तो उसकी मैच फीस का 50% तक जुर्माना लगाया जा सकता है। हालांकि अगर मामला ज्यादा गंभीर हो तो 100% मैच फीस का जुर्माना भी लगया जा सकता है। साल 2022 में ऋषभ पंत और दिल्ली कैपिटल्स के कोचिंग स्टाफ के सदस्य प्रवीण अमरे पर एक संदिग्ध नो-बॉल के फैसले का विरोध करने के लिए 100% मैच फीस का जुर्माना लगाया गया था। अगर असंतोष का स्तर गंभीर हो, जैसे कि मैदान पर खेल रोकना या कोचिंग स्टाफ का हस्तक्षेप, तो खिलाड़ी या स्टाफ पर एक मैच का प्रतिबंध लग सकता है। उदाहरण के लिए, प्रवीण अमरे को 2022 में एक मैच का बैन झेलना पड़ा था। आईपीएल के कोड ऑफ कंडक्ट में लेवल 1 उल्लंघन के लिए जुर्माना और लेवल 2 के लिए अधिक गंभीर सजा जैसे बैन का प्रावधान है। अंपायर के फैसले पर खुला विरोध खेल की भावना के खिलाफ माना जाता है।