जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश मोहित सोनी व अन्य की याचिकाओं पर दिया। याचिका में कहा गया कि मंत्रालयिक कर्मचारी वर्ग में जिनका चयन हुआ है, उनके सीईटी में प्रार्थियों से कम अंक हैं। उन्हें दोहरे आरक्षण का लाभ दिया है। ऐसे में कर्मचारी चयन बोर्ड ने आरक्षण की प्रक्रिया सही नहीं की है और इसके चलते ही प्रार्थी भर्ती प्रक्रिया में चयन होने से वंचित रहे हैं।
कोर्ट ने की याचिका खारिज
इसके जवाब में कर्मचारी चयन बोर्ड की ओर से अधिवक्ता संदीप माहेश्वरी ने कहा कि सीईटी नियम-2022 के नियम 6 के तहत एमई श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिए मानकों में छूट का प्रावधान है। बोर्ड ने डीओपी के 24 जून 2008 के परिपत्र की पालना की है और दोहरे आरक्षण का लाभ नहीं दिया है। प्रार्थियों के मुख्य परीक्षा में इन चयनित अभ्यर्थियों से कम अंक हैं और ऐसे में इनको बुलाया जाना कानूनी तौर पर गलत नहीं है।
कर्मचारियों के लिए नियुक्ति का रास्ता साफ
हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि मंत्रालयिक कर्मचारियों को भर्ती में दोहरा आरक्षण नहीं दिया है, बल्कि यह संवैधानिक तौर पर मान्यता प्राप्त वर्टिकल श्रेणी के भीतर ही होरिजेंटल आरक्षण के एकीकरण को दर्शाता है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद भर्ती में मंत्रालयिक कर्मचारियों के लिए आरक्षित पदों पर नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है।