जयपुर जिले ने राज्य के 41 जिलों में ‘गिवअप’ के मामलों में पहला स्थान प्राप्त किया है, जो प्रशासन की पारदर्शी कार्यप्रणाली और आमजन के सहयोग का प्रमाण है। जिला रसद अधिकारी त्रिलोकचंद मीणा ने बताया कि अभियान को ग्राम पंचायत स्तर तक ले जाया गया है, जहां रात्रि चौपाल, ग्राम सभाएं और जन सुनवाई जैसे कार्यक्रमों में जागरूकता फैलाकर लोगों को प्रेरित किया जा रहा है।
कालवाड़ तहसील के बेगस गांव में आयोजित एक रात्रि चौपाल कार्यक्रम में 128 ग्रामीणों ने मौके पर ही ‘गिवअप’ के लिए सहमति दी, जो इस अभियान की सफलता को दर्शाता है। जिला प्रशासन ने अपात्र लाभार्थियों को स्वयं नाम हटाने का अवसर देते हुए अभी तक 986 व्यक्तियों को नोटिस भी जारी किए हैं। साथ ही यह स्पष्ट किया गया है कि 30 जून 2025 तक स्वेच्छा से नाम हटवाने वालों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्यवाही नहीं होगी।
इसके बाद जिन लाभार्थियों द्वारा ग़लत रूप से खाद्यान्न प्राप्त किया गया है, उनसे 27 रुपए प्रति किलो की दर से वसूली की जाएगी, जिसमें ब्याज सहित राशि वसूली के आदेश भी होंगे। यदि अपात्र लाभार्थी कोई सरकारी, अर्द्ध सरकारी कर्मचारी, पेंशनर, चौपहिया वाहन धारक या आयकरदाता है, तो उसकी सूची संबंधित विभाग को भेजी जाएगी और वेतन से राशि काटी जाएगी।
जयपुर जिले में इस अभियान को मिल रहे जनसमर्थन और प्रशासन की सख्ती से यह स्पष्ट होता है कि लाभ उन तक पहुंचेगा जो वास्तव में पात्र हैं। यह अभियान सामाजिक न्याय और पारदर्शिता की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो रहा है।