दक ने कहा कि सहकारी समितियों में अनियमितताओं के मामलों में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। दोषी कर्मचारियों के साथ-साथ जांच में देरी करने वाले अधिकारियों पर भी सख्त कार्यवाही की जाएगी। अनियमितताओं में लिप्त कर्मचारियों की वित्तीय लेन-देन की शक्तियों पर रोक लगाने और आवश्यकतानुसार एफआईआर दर्ज करने एवं आरोप पत्र जारी करने के निर्देश दिए गए।
उन्होंने यह भी कहा कि गबन के मामलों में नियमानुसार धोखाधड़ी की धाराओं के तहत केस दर्ज कर सम्पत्ति अटैच करने की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाए। यदि किसी कर्मचारी को निलंबित किया जाता है, तो उसके विरुद्ध कैवियट न्यायालय में तुरंत दायर की जाए ताकि किसी प्रकार की एकतरफा कार्यवाही से बचा जा सके।
बीमा कंपनियों के क्लेम से संबंधित लम्बित मामलों के त्वरित निस्तारण पर भी उन्होंने जोर दिया। साथ ही, मल्टी स्टेट क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटियों से जुड़े मामलों में कार्यवाही के लिए केंद्रीय रजिस्ट्रार को पत्र लिखने के निर्देश दिए।
उन्होंने राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम, 2001 की धारा 55 के अंतर्गत की जाने वाली जांचों की भी व्यापक समीक्षा करने के निर्देश दिए, जिससे जांच प्रक्रिया पारदर्शी और प्रभावी बन सके। सहकारिता विभाग की प्रमुख शासन सचिव एवं रजिस्ट्रार, मंजू राजपाल ने बताया कि समयबद्ध निस्तारण के लिए विभाग सतत प्रयास कर रहा है। जांच प्रक्रिया को तेज करने के लिए विभागीय जांच सेल का गठन किया गया है। उन्होंने निर्देश दिए कि सभी अधिकारी एक सप्ताह के भीतर प्रकरणों की स्थिति अपडेट करें और एक माह के भीतर लम्बित जांच प्रकरणों की स्थिति स्पष्ट करें।
नवगठित पैक्स(PACS) के गठन और उनके पदाधिकारियों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों को भी प्राथमिकता देने के निर्देश दिए गए, जिससे जमीनी स्तर पर सहकारिता तंत्र को मजबूत किया जा सके।