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अधिक फाइबर खाने से शरीर में ‘फॉरएवर केमिकल्स’ की मात्रा घट सकती है: अध्ययन

एक नए अध्ययन के अनुसार, आहार में फाइबर की मात्रा बढ़ाने से शरीर में मौजूद हानिकारक “फॉरएवर केमिकल्स” (PFAS) की मात्रा को कम किया जा सकता है।

जयपुरMay 11, 2025 / 05:41 pm

Shalini Agarwal

vegetables

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जयपुर। एक नए अध्ययन के अनुसार, अधिक मात्रा में फाइबर का सेवन करने से शरीर में विषैले PFAS—जिन्हें आमतौर पर “फॉरएवर केमिकल्स” कहा जाता है—की मात्रा को काफी हद तक घटाया जा सकता है।
शोध में पाया गया कि PFOA और PFOS, जो PFAS के दो सबसे सामान्य और खतरनाक रूप हैं, पर फाइबर सबसे प्रभावी ढंग से काम करता है। ये रसायन वर्षों तक शरीर में बने रह सकते हैं। संघीय आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में लगभग हर व्यक्ति के खून में PFAS पाए जाते हैं।
बोस्टन यूनिवर्सिटी की शोधकर्ता और अध्ययन की सह-लेखिका जेनिफर श्लेजिंगर ने बताया कि चूहों और कुछ मानव प्रतिभागियों पर किए गए अध्ययन के शुरुआती परिणाम उत्साहजनक हैं। इस विषय पर एक बड़े पैमाने पर अध्ययन जारी है।
“हम अभी प्रयोग के बीच में हैं, लेकिन नतीजे काफी उम्मीदें जगाते हैं,” उन्होंने कहा। “सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह तरीका व्यावहारिक, सुलभ और किफायती है।”

PFAS (पेर- और पॉलीफ्लुओरोएल्किल पदार्थ) करीब 15,000 रासायनिक यौगिकों का एक समूह है, जिन्हें उत्पादों को पानी, तेल और दाग-धब्बों से बचाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इन्हें “फॉरएवर केमिकल्स” कहा जाता है क्योंकि ये प्राकृतिक रूप से विघटित नहीं होते और कैंसर, जन्म दोष, प्रतिरक्षा प्रणाली में कमी, उच्च कोलेस्ट्रॉल, किडनी रोग आदि से जुड़े हुए हैं।
अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (EPA) ने बताया है कि पीने के पानी में PFOA और PFOS की कोई भी मात्रा सुरक्षित नहीं मानी जाती। ये रसायन खून में आमतौर पर दो से पांच साल तक रहते हैं, और पूरी तरह से शरीर से निकलने में दशकों लग सकते हैं।
सेना के ठिकाने PFAS प्रदूषण के केंद्र होते हैं, जहां बड़ी संख्या में सैनिक इन रसायनों के संपर्क में आते हैं। इसी कारण अमेरिकी रक्षा विभाग इस शोध को वित्तपोषित कर रहा है।

शोधकर्ताओं का मानना है कि आहार फाइबर आंत में एक जेल जैसी परत बनाता है, जो PFAS को अवशोषित होने से रोकता है। यही परत पित्त अम्लों को भी मल के माध्यम से बाहर निकालने में मदद करती है, और चूंकि पित्त अम्लों की रासायनिक संरचना लंबे-श्रृंखला वाले PFAS से मिलती है, इसलिए वही प्रक्रिया इन रसायनों पर भी लागू होती है।
श्लेजिंगर ने बताया कि घुलनशील और अघुलनशील दोनों तरह के फाइबर की जरूरत होती है, जिन्हें जूस या भोजन में मिलाकर लिया जा सकता है। ओट बीटा ग्लूकन भी प्रभावी है। फाइबर को भोजन के साथ लेना जरूरी है क्योंकि पित्त उत्पादन उसी समय सबसे ज्यादा होता है।
जहां फाइबर लंबी श्रृंखला वाले PFAS जैसे PFOA और PFOS को खत्म करने में कारगर है, वहीं यह छोटे श्रृंखला वाले PFAS के लिए उतना प्रभावी नहीं है, जिन्हें पेशाब के जरिए बाहर निकाला जाता है।
कोलेस्टायरामिन, जो कोलेस्ट्रॉल घटाने की दवा है, को PFAS की मात्रा घटाने में इस्तेमाल किया गया है, लेकिन इससे चूहों में कठोर और बड़ी मात्रा में मल बनता है। इसके विपरीत, फाइबर मल त्याग को आसान बनाता है और अन्य स्वास्थ्य लाभ भी देता है।

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