जानें क्या है अभ्यर्थियों की मांग?
बता दें, RAS 2023 का अंतिम परिणाम बाकी है। अभ्यर्थियों का कहना है कि RAS 2023 भर्ती के साक्षात्कार अभी चल रहे हैं, लेकिन अंतिम परिणाम घोषित नहीं हुआ है। इससे कई अभ्यर्थी, जो पिछले साल की परीक्षा के परिणाम का इंतजार कर रहे हैं, इस बार की परीक्षा में भी शामिल हो रहे हैं। अभ्यर्थियों का तर्क है कि अगर दोनों परीक्षाओं में एक ही अभ्यर्थी चयनित हो जाता है तो अन्य अभ्यर्थियों के लिए सीटों का नुकसान होगा। इसके अलावा, RAS 2023 मुख्य परीक्षा के असफल अभ्यर्थियों को अभी तक उनकी उत्तर पुस्तिकाएं नहीं मिली हैं, जिसके कारण वे अपनी गलतियों का मूल्यांकन नहीं कर पाए हैं।
ऑपरेशन सिंदूर ने प्रभावित की तैयारी
अभ्यर्थियों ने यह भी आरोप लगाया कि हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर के कारण सरकारी कार्मिकों और सैन्य कर्मियों के अवकाश रद्द कर दिए गए, जिससे उनकी परीक्षा की तैयारी व्यापक रूप से प्रभावित हुई। अभ्यर्थियों का कहना है कि उन्हें पर्याप्त तैयारी का समय नहीं मिला और वे पूरी तरह तैयार नहीं हैं। इसके साथ ही, उन्होंने मांग की कि यूपीएससी की तर्ज पर RAS मुख्य परीक्षा का कैलेंडर पहले घोषित किया जाए, ताकि अभ्यर्थियों को स्पष्टता मिले।
मदन राठौड़ ने माना- मांगें जायज
सोमवार को प्रदर्शन के दौरान भाजपा नेता मदन राठौड़ ने अभ्यर्थियों से मुलाकात की और उनकी मांगों को जायज बताया। उन्होंने कहा कि मैं अभ्यर्थियों की मांग को सक्षम नेतृत्व तक पहुंचाऊंगा और परीक्षा तिथि को लेकर विचार-विमर्श करूंगा। राठौड़ ने अभ्यर्थियों के साथ सहानुभूति जताते हुए उनकी समस्याओं को गंभीरता से लेने का आश्वासन दिया। वहीं, अभ्यर्थियों के समर्थन में एक दर्जन से अधिक विधायकों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर परीक्षा की तारीख बढ़ाने की मांग की है। उनका कहना है कि तारीख बढ़ाने से अभ्यर्थियों को बेहतर तैयारी का मौका मिलेगा, जिससे वे अच्छा प्रदर्शन कर सकेंगे।
इससे पहले भी हो चुका है प्रदर्शन
बता दें, इससे पहले भी 27 मई को RAS मुख्य परीक्षा 2024 के अभ्यर्थियों ने जयपुर के गोपालपुरा में 80 फीट से रिद्धि-सिद्धि तक पैदल मार्च निकाला था, जिसमें बड़ी संख्या में अभ्यर्थी शामिल हुए थे। अभ्यर्थियों की सरकार से अपील अभ्यर्थियों ने सरकार से मांग की है कि उनकी समस्याओं पर गंभीरता से विचार किया जाए और परीक्षा की तारीख बढ़ाने का फैसला लिया जाए। वे सरकार के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन चाहते हैं कि उनकी मांगों को प्राथमिकता दी जाए।