खान विभाग के प्रमुख शासन सचिव टी. रविकान्त ने जानकारी देते हुए बताया कि इन 109 प्लॉटों में से 77 प्लॉट एम-सेण्ड उत्पादन के लिए हैं, जिनका कुल क्षेत्रफल लगभग 158 हैक्टेयर है। वहीं, 32 प्लॉट अवरबर्डनडंपिंग के लिए चिन्हित किए गए हैं, जिनका कुल क्षेत्रफल लगभग 131 हैक्टेयर है। सभी प्लॉटों की ई-नीलामी जल्द ही की जाएगी।
रविकान्त ने शुक्रवार को खनिज भवन में विभागीय अधिकारियों की बैठक में कहा, “वैध खनन को बढ़ावा देकर ही अवैध खनन पर प्रभावी नियंत्रण संभव है। अतःडेलिनियेशन कार्य को गति देते हुए नीलामी प्रक्रिया को तेज किया जाए।” उन्होंने विभाग को राजस्व लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए नए आय स्रोतों की पहचान करने और राजस्व छीजत को सख्ती से रोकने के निर्देश दिए। साथ ही उन्होंने नई व पुरानी बकाया वसूली के लिए भी ठोस रणनीति बनाने पर जोर दिया।
निदेशक खान दीपक तंवर ने बताया कि चालू वित्तीय वर्ष की शुरुआत में ही 22 मेजर मिनरल ब्लॉकों की ऑक्शन प्रक्रिया शुरू हो गई है। एम-सेण्ड, माइनर मिनरल प्लॉट्स और आरसीसी-ईआरसीसी के बकाया ठेकों की नीलामी भी प्रगति पर है।
संयुक्त सचिव आशु चौधरी ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि विधानसभा प्रश्नों, न्यायालयों से प्राप्त प्रकरणों तथा अन्य उच्च स्तर के मामलों में समयबद्ध और प्राथमिकता के साथ जवाब प्रस्तुत किए जाएं। अतिरिक्त निदेशक (मुख्यालय) महेश माथुर ने जानकारी दी कि “हरियालोराजस्थान” अभियान के तहत पौधारोपण की कार्ययोजना तैयार कर ली गई है।
एमओयू मॉनिटरिंग सहप्रभारी श्री संजय सक्सैना ने बताया कि राइजिंग राजस्थान समिट में हुए एमओयू को धरातल पर लाने के लिए फील्ड अधिकारी निवेशकों से समन्वय बनाकर कार्यों को शीघ्र गति दें। इस पहल के माध्यम से न केवल राज्य में निर्माण सामग्री की वैकल्पिक उपलब्धता सुनिश्चित होगी, बल्कि खनन क्षेत्र में पारदर्शिता, निवेश और राजस्व वृद्धि को भी बल मिलेगा।