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जयपुर

राजस्थान में बारिश को लेकर ज्योतिषाचार्यों की बड़ी भविष्यवाणी, सावन-चातुर्मास में तूफान और ओलावृष्टि की चेतावनी

जयपुर के जंतर-मंतर और शास्त्री नगर स्थित साइंस पार्क में ध्वज-पताका विधि से हुआ परम्परागत वायु परीक्षण, चातुर्मास में जलवृष्टि के शुभ संकेत

जयपुरJul 11, 2025 / 06:36 am

Rakesh Mishra

Rain Forecast

विज्ञान पार्क और जंतर-मंतर पर वायु परीक्षण। फोटो- पत्रिका

चौमासे में वर्षा कैसी होगी? अन्न-धान्य की स्थिति क्या रहेगी? इन सवालों के जवाब तलाशने के लिए आषाढ़ वायु धारिणी पूर्णिमा के अवसर पर राजधानी में पारंपरिक व वैज्ञानिक विधियों से वायु परीक्षण किया गया। सूर्यास्त के समय जंतर-मंतर के सम्राट यंत्र से लेकर विज्ञान केंद्र तक अनुभवी ज्योतिषाचार्यों, पंचांगकर्ताओं और विद्वानों ने वायु की दिशा और गति का विश्लेषण किया।

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परिणाम उत्साहजनक रहे। पूर्व से पश्चिम की ओर बहती वायु ने संकेत दिया कि इस बार श्रावण मास और पूरे चातुर्मास में अच्छी वर्षा होने की संभावना है। वहीं कृषि उत्पादन और जलस्रोतों की स्थिति भी बेहतर रहने के संकेत मिले हैं।

जंतर-मंतर पर हुआ ध्वजा परीक्षण

राजधानी के ऐतिहासिक जंतर-मंतर में 110 फीट ऊंचे वृहद सम्राट यंत्र पर वरिष्ठ ज्योतिषियों एवं पंचांगकर्ताओं ने सूर्यास्त के समय ध्वजा की दिशा देखकर वायु प्रवाह का अध्ययन किया। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार वर्ष संवत्सर का नाम ‘सिद्धार्थ’ होने से बादल जल से परिपूर्ण रहेंगे और वर्षा अच्छी होगी।
इससे अन्न-धान्य की प्रचुरता, राजनीतिक स्थिरता और जनहितकारी कार्यों में वृद्धि के योग बनते हैं। इस अवसर पर प्रो. डॉ. विनोद शास्त्री, डॉ. विनोद कुमार शर्मा, डॉ. लता श्रीमाली सहित कई दैवज्ञ और विद्वान शामिल रहे।

विज्ञान केंद्र में हुआ 298वां वायु परीक्षण

शास्त्री नगर स्थित क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र एवं विज्ञान पार्क में अखिल भारतीय प्राच्य ज्योतिष शोध संस्थान की ओर से 298वां वायुपरीक्षण किया गया। संयोजक डॉ. रवि शर्मा ने बताया कि यहां भी वायु का प्रवाह पश्चिम दिशा में पाया गया, जो भरपूर जलवृष्टि और बेहतर कृषि उत्पादन का संकेत देता है, हालांकि जल प्रकोप की आशंका भी व्यक्त की गई।
पं. चंद्रशेखर शर्मा ने बताया कि ‘समय का वाहन अश्व (घोड़ा)’ होने से प्राकृतिक आपदाओं जैसे तूफान, ओलावृष्टि और भूस्खलन की संभावना बनी रहती है। वहीं ‘समय का वास धोबी के घर’ में होने से जलस्रोतों के परिपूर्ण रहने और अच्छी वर्षा के संकेत मिलते हैं।
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चार स्तंभों का तुलनात्मक निष्कर्ष

जल स्तंभ: 85.35% – वर्षा की स्थिति श्रेष्ठ
तृण स्तंभ: 100% – चारे की उपलब्धता उत्तम
वायु स्तंभ: 10.72% – वायु में न्यूनता
अन्न स्तंभ: 21.67% – अन्न उत्पादन में संभावित रोग-प्रकोप

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