उसी दिन रात 9.15 बजे कटे हुए हाथ के साथ बच्चे को लेकर उसके पिता एसएमएस के ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। प्लास्टिक सर्जरी विभाग ने इमरजेंसी में तुरंत पुनर्रोपण की प्रक्रिया शुरू की। यह ऑपरेशन वरिष्ठ आचार्य एंव विभागाध्यक्ष डॉ. प्रदीप गुप्ता के निर्देशन में विभाग व निश्लेतना विभाग की टीम ने किया। छह घंटे चला यह ऑपरेशन सफल रहा।
8 घंटे में लाएं तो पुन: जोड़ा जा सकता
डॉ.गुप्ता ने बताया कि शरीर के कटे हुए अंगों को 8 घंटे के भीतर सही तरीके से बर्फ में रखकर अस्पताल लाया जाए तो ऑपरेशन करके उनको पुन: जोड़ा जा सकता है।
पहले भी कर चुके कमाल
इससे पहले सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज के कार्डियोलॉजी विभाग ने 80 वर्षीय मरीज पर बेहद जटिल वॉल्व-इन-वॉल्व ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वॉल्व रिप्लेसमेंट (टॉवर) प्रक्रिया को सफलता पूर्वक अंजाम दिया गया। चिकित्सकों का दावा है कि यह उत्तर भारत के किसी भी सरकारी मेडिकल कॉलेज में इस तरह की प्रक्रिया का पहला मामला रहा।