CG News: स्थानीय अकाउंटेंट के पास प्रशिक्षण
सन्यासी राव बताते हैं कि इस पेशे से अब उतनी आमदनी नहीं होती जितनी मेहनत लगती है। वर्ष में केवल 6 महीने, खासकर विवाह-समारोहों के दौरान ही काम मिलता है, बाकी समय काम बेहद कम होता है। उनकी पत्नी भी इस काम में सहयोग करते रहे। उन्होंने बताया कि अब वे नहीं चाहते कि उनकी अगली पीढ़ी यह काम करे। इसी सोच के साथ उन्होंने अपने बेटे को अकाउंटेंट बनाने का निर्णय लिया है, जो फिलहाल एक स्थानीय अकाउंटेंट के पास प्रशिक्षण ले रहा है। CG News:
इस काम के जानकार अब बहुत कम
CG News: हालांकि संन्यासी राव को इस बात की चिंता भी है कि यदि उन्होंने यह
व्यवसाय छोड़ दिया, तो ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को बर्तनों की मरम्मत और पॉलिश करवाने में दिक्कत होगी और दर-दर भटकना पड़ेगा, क्योंकि इस काम के जानकार अब बहुत कम बचे हैं। उनकी कहानी न सिर्फ एक पेशे के विलुप्त होने की झलक देती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे परंपरागत कारीगर आर्थिक चुनौतियों के चलते अपनी विरासत छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं।