scriptNGT की रिपोर्ट में खुलासा: नर्मदा में मिल रही 2.5 लाख घरों के सेप्टिक टैंकों की गंदगी | more than 2.5 lakh, sewage water from septic tanks is getting into Narmada through drains | Patrika News
जबलपुर

NGT की रिपोर्ट में खुलासा: नर्मदा में मिल रही 2.5 लाख घरों के सेप्टिक टैंकों की गंदगी

NGT की रिपोर्ट में खुलासा: नर्मदा में मिल रही 2.5 लाख घरों के सेप्टिक टैंकों की गंदगी

जबलपुरJul 17, 2025 / 12:01 pm

Lalit kostha

Dirty Narmada

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Dirty Narmada : शहर में डेढ़ दशक से सीवर लाइन प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है, लेकिन अब तक महज ३5 प्रतिशत एरिया में नेटवर्क तैयार हो सका है। यानी ढाई लाख से ज्यादा आबादी वाले इलाकों में सेप्टिक टैंक से निकला सीवेज का पानी नाला-नालियों से होकर नर्मदा में मिल रहा है। एनजीटी की ओर गठित समिति की पड़ताल में इसका खुलासा होने के बाद ट्रिब्यूनल ने प्रदेश के मुख्य सचिव, पर्यावरण विभाग के सचिव व निगम कमिश्नर को नोटिस जारी किया है। अगली सुनवाई के सप्ताहभर पहले जवाब मांगा गया है।
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Dirty Narmada : ट्रीटमेंट प्लांटों की क्षमता का उपयोग नहीं

नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल की ओर से गठित समिति ने पड़ताल में पाया कि नगर निगम ने भले ही नगर में 1३ एसटीपी प्लांट बना लिए हैं लेकिन उनकी एक तिहाई क्षमता का ही उपयोग हो पा रहा है। ड्रेनेज में सॉलिड वेस्ट मिल रहा है। इतना ही नहीं 5 मेजर नालों को ठीक ढंग से सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में डायवर्ट नहीं किया गया।
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Dirty Narmada : आधे शहर में भी सीवर कनेक्शन नहीं

नगर की आबादी 18 लाख के लगभग है। नगर निगम के रिकार्ड में पौने तीन लाख अवासीय भवन हैं। निगम ने भले ही 1३ सीवेज प्लांट चालू कर दिए हैं, लेकिन घरों से निकलने वाले सीवेज के ट्रीटमेंट की स्थिति देखी जाए तो वर्तमान में 42 हजार घरों का भी कनेक्शन नहीं हो सका है।

Dirty Narmada : स्टॉर्म वाटर मैनेजमेंट में भी खामी

समिति ने एनजीटी को सौँपी रिपोर्ट में बताया है कि शहर में स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज पर ठीक ढंग से काम नहीं हुआ। विशेषज्ञों का कहना है कि इसके कारण शहर में म‘छर पनप रहे हैं, जो जन स्वास्थ्य के लिए बड़ी चुनौती बन रहे हैं। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि ड्रेनेज नेटवर्क की ठीक ढंग से समय-समय पर सफाई हो।
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Dirty Narmada : रियलिटी चेक में ऐसे हालात

तीन साल से गढ़ा, धनवंतरि नगर, गंगा नगर, संजीवनी नगर क्षेत्र में सीवर लाइन बिछाने का काम चल रहा है। इन इलाकों में किसी साइट कभी भी अचानक भारी भरकम हिटैची मशीन से खुदाई शुरू कर दी जाती है। 15 दिन या महीने भर एक स्पॉट पर काम चलता है, इस दौरान साइट को ठीक ढंग से कवर भी नहीं किया जाता। गहरे गड्ढे खोदकर आसपास मिट्टी-मलबा का ढेर लगा दिया जाता है, फिर काम अधूरा छोडकऱ गड्ढे पूरकर सीवर ठेकेदार कुछ दूरी पर या दूसरी साइट में काम शुरू कर देता है।

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