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इंदौर

खुलासा- बड़े सरकारी मंदिरों की सैकड़ों एकड़ जमीन पर माफिया का कब्जा, कॉलोनियां से लेकर होटल तक बने

mp temple land encroachment: इंदौर (indore) में 40 से ज्यादा सरकारी मंदिरों की सैकड़ों एकड़ जमीन पर अवैध कब्जे मिले। कॉलोनियां, मैरिज गार्डन, पेट्रोल पंप तक बना दिए गए। प्रशासन अब हरकत में आया है। (land mafia)

इंदौरAug 01, 2025 / 10:18 am

Akash Dewani

mp temple land encroachment indore land mafia khedapati mandir

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(इमेज- AI)

mp temple land encroachment: इंदौर (indore) के श्रीराम व खेड़ापति हनुमान मंदिर की 100 करोड़ से अधिक की जमीन का नामांतरण व बटांकन निरस्त कर प्रशासन ने कब्जा ले लिया है। इसी तरह मंदिरों की सैकड़ों एकड़ जमीन लुट चुकी है। पिछले दिनों जांच में खुलासा हुआ था कि 40 से अधिक सरकारी मंदिरों की जमीन पर अवैध कब्जे हैं।
इनमें से कुछ पर कॉलोनियां, पेट्रोल पंप और मैरिज गार्डन बन गए हैं। इन पर प्रशासन कब कार्रवाई करेगा? हाल ही में कलेक्टर आशीष सिंह ने पिपल्या कुमार की जमीन से वर्ग विशेष के 18 लोगों का नामांतरण-बटांकन निरस्त कर जमीन श्रीराम व श्री खेड़ापति हनुमान मंदिर व्यवस्थापक कलेक्टर के नाम की। 2.94 एकड़ जमीन का कब्जा लिया। (land mafia)

ऐसे बच सकती है मंदिरों की जमीन

अब तक जिला कोर्ट की डिक्री में देरी से अपील करने पर सरकारी मंदिरों की सैकड़ों एकड़ जमीन के कैस प्रशासन हारता रहा है, लेकिन कलेक्टर सिंह ने डिक्री में जमीन बेचने के अधिकार पुजारी को नहीं दिने के आधार पर कार्रवाई की। सभी में डिक्री की जांच हो तो जमीन वापस ली जा सकती है।

इन मंदिरों की जमीन पर कब्ज़ा

श्रीराम कुंभकर्ण मंदिर- हातोद तहसील में मंदिर की 24 हेक्टेयर जमीन पर व्यवस्थापक कलेक्टर व पुजारी सुब्बाराव का नाम है। पुजारी के डिक्री कराने की बात आई थी। कोर्ट में विवाद चल रहा है।
ओंकारेश्वर मंदिर- हातोद के ग्राम सोनगीर में ओंकारेश्वर मांधाता मंदिर के नाम पर करीब 6 हेक्टेयर जमीन है। देवी अहिल्या ने बेलपत्र के पेड़ लगाने को जमीन दी थी। कुछ लोगों ने उसे अपनी बताकर डिक्री करा ली। कोर्ट में केस चल रहा है।
इंद्रेश्वर मंदिर- देवी अहिल्या द्वारा स्थापित इंद्रेश्वर मंदिर के नाम इंदौर कस्बे में 5.5 हेक्टेयर जमीन है। लाबरिया भेरु के नजदीक इस जमीन पर मुल्तान नगर, तुकोजीराव बाजार, कई होटलें बनी हुई हैं।

खेड़ापति हनुमान मंदिर- संजय सेतु स्थित खेड़ापति हनुमान मंदिर की भमोरी दुबे और पलासियाहाना में जमीन थी। पुजारी रामकृष्ण दास मंदिर व उसकी जमीन को अपनी बताकर 1967 में कोर्ट गए। 2007 में फैसला सरकार के पक्ष में आया।रामकृष्ण ने भमोरी दुबे की जमीन गजानंद गृह निर्माण सोसायटी को बेच दी। इसके अध्यक्ष उनके भाई गंगादास ने मारुति नगर नाम से कॉलोनी काटी। पलासियाहाना में मंदिर की करीब 1 एकड़ जमीन है, जिसका एक हिस्सा गणगौर स्वीट्स के मालिक सुरेंद्रकुमार जैन को बेचा। मंदिर की एक जमीन संजय सेतु के लिए अधिगृहित की थी।

अकेले इंदौर के मंदिरों के नाम हजारों एकड़ जमीन

1965 में सरकार ने गजट नोटिफिकेशन कर होलकर शासन के सारे सरकारी मंदिरों को अपने अधीन कर लिया था। दस्तावेजों अनुसार, इंदौर जिले में 365 मंदिर हैं, जिनके नाम पर हजारों एकड़ जमीन है। राजस्व रिकॉर्ड में मंदिर के नाम के साथ व्यवस्थापक में कलेक्टर का नाम दर्ज करने के अलावा कुछ जगह पुजारियों के नाम भी लिखे गए थे।
पुजारियों को खेती कर परिवार का पालन-पोषण करने की छूट थी। समय के साथ जमीन बेशकीमती हुई तो पुजारियों ने उन पर अपना हक जताना शुरु कर दिया। भू-माफिया के साथ में मिलकर कोर्ट से एक पक्षीय डिक्री कराई। अफसरों ने समय पर अपील नहीं की, जिससे सरकार कैस हारती गई। बाद में सांठगांठ कर तत्कालीन अफसरों ने जमीन का नामांतरण कर दिया। इससे सैकड़ों एकड़ जमीन लुट गई।

डिक्री के आधार पर नामांतरण

लक्ष्मीनारायण मंदिर खजराना के दो सर्वे नंबर की 3.42 और 2.61 हेक्टेयर जमीन लक्ष्मीनारायण मंदिर की थी। 1950 में पुजारी कन्हैयालाल सिद्धेश्वर त्रिवेदी का नाम दर्ज हुआ। 1979-80 में मंदिर के पास 2.44 हेक्टेयर जमीन रह गई। 2005 में मंजू खंडेलवाल को जमीन बेची तो अगले साल राजस्व मंडल ने जमीन पर पुजारी का कब्जा बताकर फैसला दिया।
2007 में मंजू ने पावर ऑफ अटॉर्नी बिल्डर शरद डोसी के रिश्तेदार अभय जैन को लिख दी। बाद में जमीन जैन व डोसी की भागीदारी फर्म शिव इंटरप्राइजेस के नाम हो गई। इस पर टीएंडसीपी व डायवर्शन हो गया। 5 दिसंबर 2014 को तत्कालीन एसडीओ डॉ. वरदमूर्ति मिश्रा ने विकास अनुमति जारी की। तत्कालीन कलेक्टर आकाश त्रिपाठी ने आदेश पर रोक लगाई, लेकिन कोर्ट के आदेश पर कॉलोनी का निर्माण शुरु हो गया।

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