आरई-2 सड़क को लेकर हाईकोर्ट में 130 याचिकाएं
आरई-2 सड़क को लेकर हाईकोर्ट
इंदौर में 130 से ज्यादा याचिकाएं दायर हुई थीं, जिनमें से पट्टे और अन्य कब्जों से जुड़ी याचिकाओं का कोर्ट(MP High Court) ने पहले ही यह कहते हुए निराकरण कर दिया था कि पट्टेधारियों को नगर निगम प्रधानमंत्री आवास योजना में फ्री में फ्लैट दे। अब शेष बचे जमीन मालिकों की याचिका पर सुनवाई हो रही है। अभिभाषक अभिनव धानोतकर ने बताया कि सुनवाई के दौरान टीएंडसीपी की ओर से मास्टर प्लान के अनुसार आरई-2 का नक्शा पेश किया गया।
2003 में नक्शा पास, 2008 के मास्टरप्लान में भी थी सड़क
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अभिभाषक वीरकुमार जैन ने कहा कि 1991 में प्रस्तावित मास्टर प्लान में यह सड़क 60 फीट की थी, जिसके अनुसार 2003 में उनकी कॉलोनी का नक्शा स्वीकृत हुआ था। इसमें कुछ फीट जमीनें जा रही थीं। 2008 के मास्टर में भी यही सड़क थी, लेकिन नगर निगम अभी जो सड़क बना रहा है, उसमें उनकी पूरी जमीन जा रही है। टीएंडसीपी की अनुमति उनके पास है। ऐसे में उनकी जमीन कैसे ले सकते हैं। उन्होंने मास्टर प्लान के नक्शे और नगर निगम के नक्शे का अंतर भी कोर्ट में पेश किया। कहा कि नगर निगम ने कोर्ट में जो नक्शा पेश किया है, उसमें खसरा नंबर, गांव का नाम आदि कुछ भी नहीं है, जबकि मास्टर प्लान के अनुसार कोर्ट में पेश नक्शे में खसरा नंबर सहित सभी जानकारी है। रेवेन्यू रिकॉर्ड में भी खसरों की जानकारी होती है। उसी आधार पर सड़क का नक्शा बनाना था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इसके कारण सड़क का अलाइनमेंट बदल गया है। सड़क सीधी बननी थी, लेकिन वैसी नहीं बनाई जा रही है।
90 डिग्री तक सड़क मोड़ दी
याचिकाकर्ताओं के वकील धानोतकर ने दलील दी कि 1991 और 2008 के मास्टर प्लान से उलट कनाड़िया से जोडिएक मॉल तक के हिस्से में ही कई जगह सड़क को 90 डिग्री तक मोड़ दिया गया है। मास्टर प्लान के अनुसार सड़क का नक्शा कोर्ट में आते ही नगर निगम ने दलील बदल दी। निगम के वकीलों ने कहा कि हमें जहां आसानी से जमीनें मिल रही थीं, उसी हिसाब से सड़क का निर्माण शुरू कर दिया। इस पर याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने कहा कि कुछ लोगों की जमीनों को बचाने के लिए सड़क मोड़ दी है।
कोर्ट ने भी जताई अनभिज्ञता
कोर्ट ने भी निगम और टीएंडसीपी के वकीलों से पूछा कि मास्टर प्लान के हिसाब से सड़क बनाने में कितनी और किसकी जमीन आ रही है। इस पर अनभिज्ञता जताई गई तो कोर्ट ने कहा कि इसके लिए एक कमेटी बना देते हैं। कमेटी मास्टर प्लान के नक्शे में आने वाली जमीन और उसके मालिक की जानकारी जुटाकर रिपोर्ट कोर्ट में पेश करे। इसमें पांच लोगों को रखने की सहमति बनी। हालांकि कोर्ट ने कोई आदेश पारित नहीं किया है।
फ्री में फ्लैट देने पर निगम की दोबारा हार
हाईकोर्ट ने पूर्व में नगर निगम को पट्टाधारियों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बन रही मल्टियों में फ्री में लैट देने के जो आदेश दिए थे, उसके खिलाफ निगम ने पुनरीक्षण याचिका दायर की थी। पुराने आदेश को नियमों के विपरीत होने और इससे परेशानी की बात कही गई। कोर्ट ने यह याचिका खारिज कर दी।