सूत्रों के अनुसार, बुधवार देर शाम टेंडर के जरिए बीआरटीएस पर सेंट्रल डिवाइडर बनाने व अन्य काम के लिए एजेंसी भी फाइनल हो गई। बीआरटीएस से रैलिंग और कांकीट बीम हटाने के बाद यहां सेंट्रल डिवाइडर बनाया जाएगा। इसमें करीब 14 करोड़ खर्च होने हैं। विदेश की तर्ज पर 300 करोड़ रुपए में बने बीआरटीएस को तोड़ने में निगम को पहले तीन करोड़ रुपए मिलेंगे (जिसे देने वाली एजेंसी अब तक नहीं मिली है), उसके बाद 14 करोड़ रुपए उसे दुरुस्त कर बनाने में खर्च होंगे।
BRTS को 100 फीट चौड़ा किया जाएगा
इसके साथ ही निगम ने एक और सर्वे करवाया है, जिसमें बीआरटीएस को 100 फीट चौड़ा किया जाना है। इससे पूरा एबी रोड एक समान हो जाएगा। इसके निर्माण के लिए स्ट्रीट लाइट, स्टॉर्म वाटर लाइन शिफ्टिंग आदि कार्य किए जाने हैं। प्राथमिक सर्वे के अनुसार, इसमें करीब 90 करोड़ रुपए खर्च होंगे। यह काम स्मार्ट सिटी से कराने का फैसला लिया गया है। जाहिर है, आम जनता के टैक्स के पैसों का निगम सरकार द्वारा जमकर दुरुपयोग किया जा रहा है। इसके बाद भी आम जन को हर रोज ट्रैफिक जाम की मार झेलनी पड़ रही है। मालूम हो, निरंजनपुर से राजीव गांधी प्रतिमा चौराहा तक करीब 11 किलोमीटर में बने बीआरटीएस (बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम) को हटाने के लिए चार महीने पहले कोर्ट ने आदेश दिया था, लेकिन कोई ठोस काम शुरू नहीं हुआ है। निगम ने इसके लिए तीन बार टेंडर जारी किए हैं।
डिवाइडर निर्माण के लिए करीब 14 करोड़
कंसल्टेंट एजेंसी के मुताबिक, बीआरटीएस हटाने के बाद सेंट्रल डिवाइडर निर्माण के लिए करीब 14 करोड़ का प्रोजेक्ट तैयार किया गया है। इस सेंट्रल डिवाइडर को सेंट्रल लाइटिंग, ग्रीनरी और सोलर एनर्जी पर आधारित एक मीटर चौड़ा बनाया जाएगा। बीआरटीएस को स्मार्ट ट्रैफिक का मॉडल बताकर 300 करोड़ रुपए पहले ही खर्च किए जा चुके हैं।
एक समान होगी एबी रोड की चौड़ाई
निगमायुक्त शिवम वर्मा के मुताबिक, एबी रोड चौड़ीकरण के सर्वे की प्राथमिक रिपोर्ट आ गई है। बीआरटीएस पर सेंट्रल डिवाइडर से सड़क को करीब 100 फीट चौड़ा किया जाएगा। शहर के कुछ हिस्सों में बॉटलनेक के कारण ट्रैफिक जाम होता है। पूरे मार्ग की चौड़ाई एक समान होने से इससे निजात मिलेगा। सड़क चौड़ीकरण के लिए स्ट्रीट लाइट पोल और स्टॉर्म वाटर पाइप लाइन शिफ्ट करनी पड़ेगी। इसके निर्माण में करीब 90 करोड़ रुपए खर्च आएगा।
विदेश की तर्ज पर बनाया, अब फेल साबित
बीआरटीएस के निर्माण के वक्त तत्कालीन अफसरों ने दावा किया था कि कोलंबिया के बगोटा शहर के बीआरटीएस मॉडल को इंदौर में लागू किया जाएगा। इंदौर के अधिकारी उस मॉडल को देखने गए थे और उसी आधार पर निर्माण की योजना तैयार की थी। करीब 12 साल बाद अब इस बीआरटीएस को हटाने का फैसला लिया गया है। निर्माण के समय से ही कुछ लोगों ने बीआरटीएस का विरोध किया था।
जनता को अब भी झेलनी होगी ट्रैफिक की मार
कोर्ट से चार महीने पहले बीआरटीएस हटाने के आदेश के बाद भी जनता को सुगम ट्रैफिक नसीब नहीं होगा, क्योंकि बीआरटीएस को तोड़ना ही शुरू नहीं किया है। निर्माण एजेंसी तय हो चुकी हो, लेकिन काम खत्म करने की डेडलाइन तय नहीं है। कहा जा रहा है कि जब तक बीआरटीएस हटेगा नहीं, तब तक काम नहीं किया जा सकता है।