विशेषज्ञों के अनुसार, मलेरिया परजीवी सबसे पहले लीवर (यकृत) को प्रभावित करता है। जब संक्रमित मच्छर इंसान को काटता है तो प्लास्मोडियम परजीवी रक्तप्रवाह के जरिए लीवर तक पहुंचता है। लीवर में यह परजीवी कुछ दिनों तक चुपचाप बढ़ता है और फिर रक्त में पहुंचकर लाल रक्त कोशिकाओं (RBCs) को संक्रमित करना शुरू करता है। यही वह चरण होता है जब रोगी में मलेरिया के लक्षण प्रकट होने लगते हैं।
शुरुआती लक्षणों को न करें नजरअंदाज
मलेरिया के लक्षण आमतौर पर मच्छर के काटने के 7 से 15 दिन बाद दिखाई देते हैं। इसके लक्षण अन्य वायरल बीमारियों जैसे फ्लू से मिलते-जुलते हो सकते हैं इसलिए इसे अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। लेकिन समय रहते पहचान और इलाज न मिलने पर मलेरिया जानलेवा भी हो सकता है। प्रमुख शुरुआती लक्षणों में शामिल हैं। - अचानक तेज बुखार आना
- ठंड लगना और कंपकंपी
- सिरदर्द
- मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द
- अत्यधिक थकावट
- उल्टी
- दस्त
- त्वचा का पीला पड़ना (पीलिया)
डॉक्टरों के अनुसार, जब परजीवी लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट करने लगता है तो शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है जिससे कमजोरी और चक्कर जैसे लक्षण उत्पन्न होते हैं।
बचाव है सबसे बेहतर उपाय
मलेरिया से बचने के लिए मच्छरों से सुरक्षा अत्यंत आवश्यक है। मच्छरदानी का प्रयोग, घर में साफ-सफाई, रुके हुए पानी को हटाना और शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनना जैसे उपाय अपनाए जा सकते हैं। इसके अलावा मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में जाने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना भी जरूरी है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि यदि शुरुआती लक्षणों की पहचान कर समय रहते इलाज शुरू कर दिया जाए तो मलेरिया को आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है। डिसक्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी केवल जागरूकता के लिए है और यह किसी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी दवा या उपचार को अपनाने से पहले विशेषज्ञ या डॉक्टर से सलाह लें।