New COVID-19 Alternative : नाक वाली वैक्सीन, इंजेक्शन वाली से कैसे अलग है?
अभी जो ज्यादातर टीके लगते हैं जैसे कोरोना के टीके, वे बांह में इंजेक्शन के जरिए दिए जाते हैं. ये टीके शरीर के अंदर जाकर हमारी इम्यूनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) को बढ़ाते हैं.COVID-19 Nasal Vaccine : ये कैसे अलग है, आइए समझते हैं:
निशाना बिल्कुल सही जगह: इंजेक्शन वाली वैक्सीन पूरे शरीर में काम करती है, लेकिन नाक वाली वैक्सीन सीधे वहीं काम करती है जहाँ से वायरस शरीर में घुसता है – यानी नाक और गले के रास्ते में. इससे वायरस को वहीं रोका जा सकता है, जहाँ से उसका हमला शुरू होता है.वैज्ञानिक क्या कह रहे हैं?
इस रिसर्च की मुख्य वैज्ञानिक, येल स्कूल ऑफ मेडिसिन (YSM) में इम्युनोबायोलॉजी की प्रोफेसर अकिको इवासाकी कहती हैं, “हमारी स्टडी से पता चलता है कि कैसे एक छोटा सा वायरल प्रोटीन ही हमारे सांस के रास्ते में वायरस के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकता है.COVID-19 Nasal Vaccine : नाक वाली वैक्सीन कैसे काम करती है
वैज्ञानिकों ने देखा कि नाक वाली वैक्सीन कोरोना से लड़ने में ज़्यादा असरदार हो सकती है. उन्होंने चूहों पर प्रयोग किया: पहले इंजेक्शन से आम कोरोना वैक्सीन दी, फिर नाक से ‘बूस्टर’ वैक्सीन दी.इस नई ‘प्राइम एंड स्पाइक’ रणनीति में, पहले इंजेक्शन से शरीर को तैयार किया जाता है और फिर नाक से दी गई बूस्टर वैक्सीन सीधे सांस के रास्ते में, जहाँ से वायरस शरीर में घुसता है, मज़बूत इम्यूनिटी बनाती है.सबसे खास बात ये है कि नाक वाले बूस्टर को ‘एडजुवेंट’ (टीके का असर बढ़ाने वाला केमिकल) की ज़रूरत नहीं पड़ती, जिससे साइड इफेक्ट का खतरा कम होता है. आम कोरोना वैक्सीन नाक और फेफड़ों में ज़्यादा IgA (एक तरह की एंटीबॉडी) नहीं बनाती, इसलिए लोग फिर भी संक्रमित हो सकते हैं. पर नाक वाला बूस्टर IgA का स्तर बढ़ाता है, जिससे वायरस को शरीर में घुसने से पहले ही रोका जा सकता है.