7% बच्चे गर्भ में ही हो रहे संक्रमित (Hepatitis C transmission in pregnancy,)
नतीजों के मुताबिक संक्रमणग्रस्त 100 गर्भवती महिलाओं में लगभग 7 शिशुओं को यह वायरस गर्भ में ही लग जाता है। हालांकि इनमें से दो-तिहाई बच्चे पांच वर्ष की उम्र तक प्राकृतिक रूप से वायरस से मुक्त हो जाते हैं, लेकिन बाकी के मामलों में लिवर संबंधी गंभीर बीमारियों की नींव पड़ जाती है। अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता डॉ. एडम ट्रिकी का कहना है कि इस निष्कर्ष से साफ है कि शिशुओं में एचसीवी की जांच आवश्यक है।
डब्ल्यूएचओ की हेपेटाइटिस सी 2022 रिपोर्ट : WHO report Hepatitis C 2022
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार 2022 में दुनियाभर में लगभग 5 करोड़ लोग हेपेटाइटिस सी से पीड़ित थे। इस वायरस से जुड़ी लिवर बीमारियों के कारण 2.4 लाख मौतें हुईं। सभी प्रकार के हेपेटाइटिस के कारण हर साल 13 लाख मौतें होती हैं। इस मामले में चीन 8.38 करोड़ मामलों के साथ सबसे ऊपर है। भारत दूसरे स्थान पर है, जहां 2022 में हेपेटाइटिस बी और सी के 3.53 करोड़ मामले दर्ज किए गए।
गर्भवती महिलाओं की जांच से आ सकती है कमी
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि गर्भवती महिलाओं की एचसीवी जांच को अनिवार्य किया जाए तो जन्म के समय संक्रमण के मामलों में उल्लेखनीय कमी आ सकती है। वहीं शिशु विकसित देशों में मातृ-स्वास्थ्य जांच का हिस्सा है, जबकि निम्न और मध्यम आय वाले देशों में इसकी कवरेज सीमित है। शोध में बताया कि शिशुओं को समय से दवा मिलने पर तीन माह में 90 फीसदी से अधिक पीड़ित ठीक हो सकते हैं।