क्यों जरूरी है नियम?
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ऐसे हालात से बचने के लिए रिकवरी एजेंटों और बैंकों के लिए सख्त दिशा-निर्देश बनाए हैं। कर्जदारों को यह जानना जरूरी है कि उनके भी अधिकार हैं और वे मनमाने व्यवहार को सहने के लिए बाध्य नहीं हैं।1; पहचान जांचने का अधिकार
किसी भी रिकवरी एजेंट से उसका बैंक/NBFC द्वारा जारी आईडी कार्ड मांगना कर्जधारक अधिकार है। आईडी कार्ड पर एजेंट का नाम, कर्मचारी संख्या और संस्थान की जानकारी स्पष्ट होनी चाहिए। आप बैंक से एजेंट की पुष्टि कर सकते हैं।2; गोपनीयता का अधिकार
रिकवरी एजेंट आपका कर्ज सार्वजनिक जगहों, रिश्तेदारों या पड़ोसियों के सामने उजागर नहीं कर सकते। आपके कर्ज की जानकारी सिर्फ आप और बैंक/NBFC के बीच गोपनीय रहनी चाहिए। इस अधिकार के उल्लंघन पर शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।3; मानवीय व्यवहार का अधिकार
एजेंट आपसे सभ्य, मर्यादित और उचित तरीके से पेश आने के लिए बाध्य हैं। वे सुबह 7 बजे से पहले और शाम 7 बजे के बाद आपसे संपर्क नहीं कर सकते। गाली-गलौच, धमकी या शारीरिक हिंसा कानूनन अपराध है।4; शिकायत करने का अधिकार
किसी भी एजेंट की मनमानी की स्थिति में आप सीधे बैंक/NBFC में शिकायत दर्ज कर सकते हैं। अगर बैंक कार्रवाई नहीं करता तो आप RBI या लोकपाल तक मामला ले जा सकते हैं।अगर लोन डिफॉल्ट हो जाए तो क्या करें?
लोन डिफॉल्ट होना किसी की मजबूरी भी हो सकती है। नौकरी छूटने, बीमारी या किसी अन्य संकट की वजह से कई बार लोग किस्तें समय पर नहीं चुका पाते। ऐसी स्थिति में कुछ विकल्प मौजूद हैं :b) Loan Restructuring : अगर ईएमआई भरना मुश्किल हो रहा है तो बैंक से Loan Restructuring की डिमांड करें। इसमें ईएमआई का नया शेड्यूल बन सकता है और भुगतान आसान हो सकता है।
c) वन-टाइम सेटलमेंट (OTS) : अगर लोन चुकाना संभव नहीं है तो बैंक से समझौते का विकल्प भी होता है। इसमें एकमुश्त रकम देकर मामला निपटाया जा सकता है। हालांकि, इससे क्रेडिट स्कोर पर निगेटिव असर पड़ता है।