बहनों ने बताई आपबीती
रागिनी वर्मा, सुशीला तिवारी ने कहा कि हरदा व टिमरनी तक जाना है, जल्दी वापस भी लौटना है। ट्रेन और बसों में पैर रखने की जगह नहीं है। घर में कार है, लेकिन पूरा रास्ता इतना ज्यादा खराब है कि त्योहार पर सुरक्षा का डर सताने लगता है। हरदा के सरकारी कॉलेज की छात्रा सुनीता, प्रजा, आस्था ने कहा कि वे रोज बस से हरदा पढ़ने जाती हैं। यहां आते आते और घर वापस जाने तक हालत खराब हो जाती है। यदि रोड के कारण हो रही तकलीफ परिजनों को बताएंगे तो वे पढ़ाई बंद करा देंगे। ऐसे में अफसर और नेताओं को रोड की सुध लेना चाहिए।
नौकरी पर जाने वालों के लिए परेशानी
वहीँ, खिरकिया से हरदा रोज अपडाउन करने वाले प्रभाकर हरने, मुकेश धनगर ने बताया कि खस्ताहाल रास्ते से बाइक लेकर रोज आने जाने में रीढ़ की हडडी में दर्द हो गया। डॉक्टर ने बाइक नहीं चलाने की सलाह दी। अब नौकरी करना है, इसलिए बस से अपडाउन करना पड़ रहा, लेकिन खराब रोड इसमें भी बाधक है।
जर्जर हो चुकी है रोड की हालत, जान का खतरा
स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में खिरकिया और हरदा पिछड़ा है। रोज गर्भवती महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों और एक्सीडेंट के मामले सीएचसी से हरदा रेफर किए जाते हैं। रास्ता जर्जर होने से वाहन एंबुलेंस धीमी गति से चलाना मजबूरी हो जाता है, सुरक्षा की अनदेखी हादसे का कारण बन सकती है। इसे देखते हुए नर्सिंग होम संचालकों ने भी समर्थन दिया है। लोगों की सुरक्षा और जान बचाने के लिए इसे फोरलेन बनाना चाहिए। विनय राजपूत ने बताया लाडली बहनों ने रक्षाबंधन पर सीएम व केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री को ई मेल कर उपहार में इस रोड को फोरलेन बनाने की मांग की।