शिवपुरी के ठाकुरपुर निवासी 30 वर्षीय महिला पेट दर्द की शिकायत से परेशान थी। उसने दो साल पहले गर्भपात कराया था। इसके बाद से ही तकलीफ में थी। वह बुखार के साथ कई बार अस्पताल में भर्ती हुई। कई बार अल्ट्रासाउंड हुए, परंतु तकलीफ ठीक नहीं हो सकी। महिला 13 मई को अस्पताल की गायनिक ओपीडी में आई। यहां डॉ. वृंदा जोशी ने एमआरआई कराई तो चौंकाने वाली घटना सामने आई।
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गर्भपात की वजह से महिला को कई तरह की जटिलता का सामना करना पड़ रहा था और भविष्य में कई तरह के साइड इफैक्ट्स भी हो सकते थे। इसलिए सर्जरी की गई। इसलिए सर्जरी का निर्णय लिया गया। महिला रोग विभाग की एचओडी डॉ. वृंदा जोशी के नेतृत्व में डॉ. प्रतिभा गर्ग, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. बबिता दास व सीनियर रेजीडेंट डॉ. ऋचा शर्मा ने ऑपरेशन किया।
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डॉक्टरों का कहना है, तीन माह के गर्भ का गर्भपात बहुत जटिल प्रक्रिया है एवं उसे अत्यंत सावधानी से विशेषज्ञों द्वारा ही करवाना चाहिए। ज्यादा समय के गर्भ के गर्भपात के दौरान विशेषकर हड्डी के अंश गर्भाशय में रह जाते है। इस कारण महिला को संक्रमण, असामान्य डिस्चार्ज दर्द और कभी- कभी बांझपन जैसी समस्याएं हो सकती है। असावधानी बरतने पर इस तरह की जटिलताएं हो सकती है एवं मरीज की जान का भी खतरा रहता है।