scriptTransfer: ‘तबादला रोको साहब, मै मानसिक बीमार हूं’, अधिकारियों ने दिए अजब-गजब तर्क | transfer policy strange reasons employees and officials mp news | Patrika News
ग्वालियर

Transfer: ‘तबादला रोको साहब, मै मानसिक बीमार हूं’, अधिकारियों ने दिए अजब-गजब तर्क

transfer policy: ट्रांसफर से बचने अफसर-कर्मचारी अजब गजब दे रहे है। कोई मानसिक बीमारी का हवाला दे रहा, कोई बच्चों की पढ़ाई तो कोई घुटने और बुजुर्ग माता-पिता की सेवा का। (mp news)

ग्वालियरJul 05, 2025 / 12:57 pm

Akash Dewani

employees and officials strange reasons to aviod transfer policy mp news

employees and officials strange reasons to aviod transfer policy
(फोटो सोर्स- पत्रिका)

transfer policy: सरकार ने हर विभाग में बड़ी संख्या में अधिकारी व कर्मचारियों के स्थानांतरण किए हैं। जिन्हें मनमाफिक जगह पर नहीं मिली है या होम टाउन से दूर हो गई है तो उन्होंने कोर्ट की शरण ली है। कोर्ट में ट्रांसफर को अवैध बताते हुए चुनौती दी है। स्थानांतरण रद्द हो सके, उसके लिए अनोखे बहाने भी बनाए। (mp news)
शिवपुरी के एक शिक्षक को स्कूल में सरप्लस बताते हुए स्थानांतरण की तलवार लटक गई है। इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। शुक्रवार की सुनवाई में तर्क दिया कि वह मानसिक बीमार है। यदि स्थानांतरण हो गया तो इलाज नहीं करा पाएगा। महिला शिक्षक ने घुटना खराब बताते हुए स्थानांतरण रद्द करने की गुहार लगाई कि वह मुड़ता नहीं है। (mp news)

और भी है ऐसे मामले

अकेले ऐसे केस नहीं है, जिनमें बहाने बनाए गए हैं। हर केस में माता-पिता या खुद की बीमारी का हवाला दिया, जो बीमार नहीं हैं, उन्होंने बच्चों की पढ़ाई को ढाल बनाया। पत्रिका ने महाधिवक्ता कार्यालय से स्थानांतरण की याचिकाओं में पैरवी करने जा रहे अधिवक्ताओं से चर्चा की तब इस तरह के केस सामने आए कि 90 फीसदी मामलों में बीमारी व बच्चों की पढ़ाई के आधार पर ट्रांसफर रुकवाना चाहते हैं।

17 जून को जारी हुई सूची

दरअसल सरकार ने 17 जून तक स्थानांतरण की सूची जारी की थी। हर श्रेणी के अधिकारियों और कर्मचारियों का स्थानांतरण हुआ। जिले में कलेक्टरों ने पटवारी व पंचायत सचिवों के स्थानांतरण किए। पंचायत सचिवों के स्थानांतरण की 10 याचिकाएं एक साथ आई, लेकिन इन्हें राहत नहीं मिल सकी। इसी तरह शिक्षा विभाग, राजस्व अधिकारियों के स्थानांतरण की याचिका दायर हुई हैं। अधिकतर में पारिवारिक समस्या का हवाला दिया गया है।

मुरैना से छतरपुर ट्रांसफर

आरईएस मुरैना में कार्यरत सब इंजीनियर प्रमोद कुमार का स्थानांतरण छतरपुर किया गया है। उन्होंने अपने स्थानांतरण को यह कहते हुए चुनौती दी है कि 300 किलोमीटर दूर भेजा गया है। इससे परिवार को परेशानी होगी। माता-पिता की आयु 85 साल है, गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं। उनकी देखभाल के लिए साथ रहना पड़ता है। ग्वालियर में उपचार के लिए भी ले जाना पड़ता है। कोर्ट ने आदेश दिया कि विभाग में अपनी परेशानी बताते हुए अभ्यावेदन करें। विभाग 30 दिन में उनके आवेदन पर फैसला ले।
स्थानांतरण को चुनौती देने के लिए सीमित आधार होते हैं। इसलिए अधिकतर अधिकारी व कर्मचारी माता-पिता, बच्चों की पढाई को आधार बनाते हुए स्थानांतरण को चुनौती दे रहे हैं। इस कारण स्थानांतरण की याचिकाओं में सामान्य तर्क होते हैं। स्थानांतरण रुकने से पॉलिसी भी प्रभावित होती है। माता-पिता को साथ में भी रख सकते हैं।

दो बैंच में सर्विस से जुड़े मामलों का रोस्टर

गर्मी की छुट्टी खत्म होने के बाद 16 जून को हाईकोर्ट में सुनवाई शुरू हुई थी। सुनवाई के पहले जजों का रोस्टर तय किया गया था। दो जजों के यहां सर्विस से जुड़े मामले सुने जा रहे हैं। जस्टिस रमेश मिलिंद फडके की बेंच में 2020 तक के सर्विस मेटर लिस्ट हो रहे हैं। जस्टिस आशीष श्रीति की बैच में 2020 के बाद सर्विस मेटर लिस्ट हो रहे हैं। दो बैच में सर्विस से जुड़े मामले सुने जा रहे है।

याचिकाओं में इस तरह के तर्क

  • हार्ट, बीपी, शुगर की बीमारी का हवाला देते हुए ट्रेवलिंग को खतरनाक बताया है।
  • सेवानिवृत्ति के दो साल रह गए हैं। दूसरे जिले में पहुंचे तो पेंशन वहां से बनेगी।
  • बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होने का हवाला दिया गया है। इनकी देखभाल जरूरी है।

शिवपुरी से अशोकनगर स्थानांतरण

राकेश कुमार भार्गव का शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल दबियापुरा शिवपुरी से स्थानांतरण अशोकनगर किया गया है। उन्होंने कोर्ट में तर्क दिया कि बेटी 12वीं कक्षा में पढ़ रही है। यदि स्थानांतरण पर जाते हैं तो उसकी पढाई प्रभावित होगी। हाईकोर्ट ने उन्हें फौरी राहत दी। अभ्यावेदन निराकरण तक रिलीव नहीं किया जाएगा।
शिवपुरी के बैराड़ से पिछोर में पटवारी बल्लभ सिंह का स्थानांतरण किया गया उसकी ओर से बताया गया कि 72 कर्मचारियों का स्थानांतरण किया गया। उनका स्थानांतरण जिले के पिछोर में किया गया है। इस स्थानांतरण से उन्हें काफी दिक्कत हो रही है, क्योंकि पिता की उम्र 95 साल है। पिता की सेवा उन्हें करनी होती है। सेवानिवृत्त भी 2 साल बाद हो रहे हैं। परिवार प्रभावित होगा। कोर्ट ने उन्हें विभाग प्रमुख के यहां अभ्यावेदन पेश करने के निर्देश दिए हैं।
नरेंद्र कुमार गर्ग शिवपुरी के शासकीय एमएलबी गर्ल्स स्कूल में शिक्षक हैं। इन्हें सरप्लस घोषित कर दिया है। इन पर ट्रांसफर की तलवार लटक गई है। सरप्लस का आदेश हटवाने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। शिक्षक ने खुद को 40 फीसदी मानसिक बीमार बताते हुए आदेश खत्म करने की गुहार लगाई है।

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