मामला विदिशा के न्यू हॉस्पिटल रोड स्थित सर्वे नंबर 1042/2007 (नया नंबर 3532) से जुड़ा है। अपीलकर्ता प्रमोद कुमार जैन का दावा था कि वे 1965 से इस जमीन पर काबिज हैं और नगर निगम द्वारा अवैध रूप से बाड़बंदी की गई है। उन्होंने स्वामित्व घोषणा, स्थायी निषेधाज्ञा और बाड़ हटाने की मांग करते हुए सिविल वाद दायर किया।
पहले भी हार चुके हैं कई बार मुकदमा
अदालत ने पाया कि अपीलकर्ता के पिता चिरौंजी लाल ने 1966 में इसी जमीन के स्वामित्व को लेकर मुकदमा दायर किया था, जिसमें यह तय हो गया था कि जमीन सर्वे नंबर 1042/6 का हिस्सा है, न कि 1042/7 का। यह फैसला जिला कोर्ट से हाईकोर्ट तक कायम रहा। इसके बाद भी अपीलकर्ता ने 1994, 2008 और अन्य वर्षों में कई बार नए वाद दायर किए। अदालत ने कहा कि अपीलकर्ता के अपने बयान में साफ है कि 1976 में, पुराने मुकदमे हारने के बाद, उन्होंने नए निर्माण शुरू किए थे। कोर्ट ने कहा कि 1966 से शुरू हुआ यह विवाद 2025 तक खिंच चुका है।