दिलीप ने 2023 की कांस्टेबल भर्ती परीक्षा पास की थी, लेकिन दस्तावेज सत्यापन के दौरान उसकी कक्षा 10 वीं की अंकसूची में दर्ज जन्मतिथि 15 मार्च 2001 और रोजगार विनिमय पहचान पत्र में दर्ज जन्मतिथि 5 सितंबर 1995 अलगलग-अलग होने के कारण विभाग ने उसकी उम्मीदवारी निरस्त कर दी थी। इस फैसले को अपीलीय समिति ने भी बरकरार रखा था। इसके बाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता डीपी सिंह ने तर्क दिया कि रोजगार विनिमय कार्ड में जन्मतिथि दर्ज करने में त्रुटि हुई थी, जिसे बाद में ठीक कर दिया गया। इसके अलावा, दसवीं की अंकसूची जन्मतिथि का सबसे प्रमाणिक दस्तावेज है। साथ ही, हाईकोर्ट की डिवीजन बैंच पहले ही यह साफ कर चुकी है कि रोजगार विनिमय पहचान पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य नहीं है।
शासन की ओर से तर्क दिया कि उम्मीदवार की जिम्मेदारी थी कि वह सही दस्तावेज़ प्रस्तुत करे, और अंतर होने पर उम्मीदवारी खारिज करना उचित था। कोर्ट ने कहा कि जब उम्मीदवार ने सही जन्मतिथि अंकसूची में प्रस्तुत की थी और रोजगार पहचान पत्र में हुई गलती भी सुधार ली गई थी, तब विभाग को उसकी उम्मीदवारी खारिज नहीं करनी चाहिए थी। अदालत ने कहा कि विभाग को पहले उम्मीदवार से स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए थी।