दरअसल डीएपी खाद की आपूर्ति अंतर राष्ट्रीय मार्केट पर निर्भर करती है, क्योंकि यह विदेशी खाद है। इसकी आवक कम है। जून में किसानों ने खाद खरीदना शुरू कर दिया था, लेकिन स्टॉक कम होने की वजह से विपणन संघ के गोदामों पर खाद खत्म हो गया था। किसान गोदामों पर हंगामा कर रहे थे। इसके बाद जुलाई में भी वैसी ही स्थिति रही। किसानों को खाद नहीं मिल सका। जुलाई में नहर खुलने व बारिश के चलते किसान धान की रोपाई में लग गया। इस कारण किसान खाद खरीदने नही ंआया। पूरे जिले में धान की रोपाई का काम खत्म हो गया। धान में खाद की स्थिति आई गई है। इस कारण किसान फिर से गोदामों की ओर दौड़ पड़ा है। गोदामों में खाद खत्म हो गया है। सिरोल के गोदाम पर खाद बचा है। वह भी खत्म होने की स्थिति में है। वर्तमान में 150 मीट्रिक टन खाद गोदाम में मौजूद है। जबकि खाद लेने वालों की संख्या अधिक है।
समय पर खाद नहीं मिला तो उत्पादन प्रभावित हो सकता है
– गोदामों एनपीके खाद मौजूद है, लेकिन डीएपी नहीं है। किसान एनपीके खाद को खरीद नहीं रहा है। उसे डीएपी की जरूरत है। यदि धान में अगस्त में खाद नहीं दिया तो उत्पादन प्रभावित हो सकता है, क्योंकि बिना खाद के धान में फुटान नहीं आ रहा है। -2024 में भी खाद की ऐसी ही स्थिति रही थी। जिन किसानों को अगस्त में खाद नहीं मिल सका था, उनका उत्पादन प्रभावित हुआ था। इसी चिंता को देखते हुए किसान कतार में खड़े हो गए हैं।
– सिरोल के गोदाम से खाद करने के लिए मुरार के किसानों के दस्तावेज ले रहे हैं। ताकि उन्हें खाद मिल सके। – गोदाम से खाद वितरित नहीं कर रहे हैं। भीड़ कम करने के लिए खाद को सहकारी समितियों पर भेज दिया है। इससे समिति से किसान को खाद मिल सके। नए रैक की डिमांड भेजी है।
अप्रेस प्रेमी, डीएमओ