वेस्ट आर्कटिक से लेकर लोडोनिया तक, खुद को बताता था कई देशों का एम्बेसडर
हर्ष वर्धन जैन खुद को ‘West Arctica’, ‘Saborga’, ‘Poulvia’, ‘Lodonia’ जैसे अनसुने और माइक्रोनेशन कहे जाने वाले देशों का एम्बेसडर बताता था। उसके पास इन देशों के फर्जी राजनयिक पासपोर्ट, डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट लगी गाड़ियां और विदेश मंत्रालय की मोहर लगे दस्तावेज मौजूद थे। आरोपी ने इतने जतन से जाल बिछाया था कि आम आदमी ही नहीं, प्रभावशाली लोग भी उसकी बातों में आ जाते थे।
फर्जीवाड़े के लिए अपनाए हाई-प्रोफाइल हथकंडे
हर्ष वर्धन खुद को हाई-प्रोफाइल और ताकतवर दिखाने के लिए प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और दूसरे गणमान्य व्यक्तियों के साथ अपनी मॉर्फ की हुई तस्वीरें दिखाया करता था। वह कंपनियों और निजी व्यक्तियों को विदेश में काम दिलाने और कूटनीतिक संबंध बनाने के नाम पर भारी रक़म वसूलता था। इसके अलावा वह हवाला रैकेट भी संचालित कर रहा था, जिसमें शेल कंपनियों का प्रयोग होता था।
पहले भी रही है आपराधिक हिस्ट्री
पुलिस सूत्रों के अनुसार, हर्ष वर्धन के तार कभी चंद्रास्वामी और इंटरनेशनल आर्म्स डीलर अदनान खगोशी से भी जुड़े रहे हैं। यह भी सामने आया है कि 2011 में उसके पास से अवैध सैटेलाइट फोन बरामद हुआ था, जिसकी रिपोर्ट थाना कविनगर में दर्ज है।
फर्जी दूतावास से क्या-क्या बरामद हुआ? चौंकाने वाली सूची!
एसटीएफ द्वारा की गई छापेमारी के दौरान बड़ी मात्रा में फर्जी और आपत्तिजनक सामग्री बरामद की गई है, जिनमें शामिल हैं: डिप्लोमैटिक नम्बर प्लेट लगी 4 लग्जरी गाड़ियां, 12 फर्जी डिप्लोमैटिक पासपोर्ट (माइक्रोनेशन देशों के), विदेश मंत्रालय की मोहर लगे कूटरचित दस्तावेज, 2 जाली पैन कार्ड, 34 विभिन्न देशों और कंपनियों की नकली मोहरें, 2 फर्जी प्रेस कार्ड, 44,70,000 नगद बरामद, कई देशों की विदेशी मुद्रा, कंपनियों और विदेशी व्यापार से संबंधित दस्तावेज, 18 नकली डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट
पुलिस जांच जारी, जल्द हो सकते हैं और खुलासे
फिलहाल थाना कविनगर में आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है और गाजियाबाद पुलिस के साथ एसटीएफ की संयुक्त टीम जांच में जुटी हुई है। माना जा रहा है कि इस रैकेट की जड़ें देश के अन्य हिस्सों और अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क से भी जुड़ी हो सकती हैं। एसटीएफ की इस कार्रवाई ने साबित कर दिया कि अपराधी चाहे जितना बड़ा जाल क्यों न बुन ले, कानून की नजर से बच पाना नामुमकिन है।