scriptCG News: प्यास बुझाने जानवर गांव न जाएं इसलिए सूखी नदियां खोद 1430 झिरिया बनाएंगे | CG will dig dry rivers and create 1430 crevices so that animals do not come to the villages to quench their thirst | Patrika News
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CG News: प्यास बुझाने जानवर गांव न जाएं इसलिए सूखी नदियां खोद 1430 झिरिया बनाएंगे

CG News: जानवरों को जंगल में ही पीने के लिए पर्याप्त पानी मिल जाए, इसके लिए उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व में 1430 झिरिया खोदने की तैयारी है। ये काम शुरू भी हो गया है।

गरियाबंदApr 12, 2025 / 12:01 am

dharmendra ghidode

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CG News: गरियाबंद/मैनपुर/मुड़ागांव. गर्मी बढऩे के साथ पानी के स्रोत भी सूखते जा रहे हैं। ऐसे में जंगलों से निकलकर जानवर आबादी वाले इलाकों का रूख करने लगे हैं। शुक्रवार को लोहझर-पंडरीपानी रोड पर कोरियापाठ डोंगरी के पास एक भालू देखा गया। यहां आसपास पोल्ट्री फार्म भी हैं। अंदेशा है कि भालू वापस इस इलाके में आ सकता है। ग्रामीण दहशत में हैं। दूसरे इलाकों से भी ऐसी खबरें आती रहीं हैं। जानवरों को जंगल में ही पीने के लिए पर्याप्त पानी मिल जाए, इसके लिए उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व में 1430 झिरिया खोदने की तैयारी है। ये काम शुरू भी हो गया है।
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रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर वरूण जैन ने मैदानी अमले को निर्देश दिए हैं कि 15 से 20 अप्रैल के बीच प्रत्येक बीट में कम से कम 10 झिरिया खोदने हैं। खुद वरूण भी शनिवार और रविवार को फावड़ा, गैंती लेकर सूखी नदियों में झिरिया खोदने निकलेंगे। बता दें कि जंगलों में जानवरों की प्यास बुझाने के लिए झिरिया खोदने की परिपाटी पुरानी है। पहले इस काम के लिए अलग से राशि जारी होती थी। फिर फंड के मुताबिक मामूली संख्या में झिरिया खोदे जाते थे।
टाइगर रिजर्व के जंगल और जानवरों को बचाने के लिए शुरू से ही क्रिएटिव आइडिया के साथ काम कर रहे वरूण ने इस बार सभी कर्मचारियों को श्रमदान के तहत झिरिया खोदने के लिए प्रेरित किया है। इस तरह बिना अतिरिक्त फंड पूरे मैदानी अमले को काम में लगाकर ज्यादा संख्या में झिरिया खोदना मुमकिन हो पाएगा। इसमें उन फायर वॉचरों की मदद भी ली जा रही है, जिनके पास फील्ड में फिलहाल ज्यादा काम नहीं है। बता दें कि टाइगर रिजर्व में उदंती, सीतानदी, पिंगला और बनास नदी के अलावा बिजौर भी एक प्रमुख नाला है।

सूखी नदियों के 2 से तीन फीट अंदर पानी मिल रहा

एकाध बारामासी नदी को छोड़ दें तो सभी बरसाती नदियां और नाले अप्रगैल आते तक सूख जाते हैं। हालांकि, सतह पर नजर आ रही रेत को 2 से 3 फीट खोदने पर पानी निकल आता है। वन विभाग ऐसी ही जगहों पर एवरेज 5 बाई 5 फीट के गड्ढे खोदकर झिरिया बना रहा है। इसमें बोरियों को रेत से बांधकर रख दिया जाता है। रेत के भीतर फ्लो होने वाला पानी धीरे-धीरे इसमें इकट्ठा हो जाता है। इसे आप अंडरग्राउंड चैकडेम भी कह सकते हैं। कई दूरस्थ गांवों में ग्रामीण भी आज तक इसी तरीके से अपनी प्यास बुझा रहे हैं।

जहां नदी-नाले नहीं हैं वहां तालाब खुदवा रहे

जंगल के जिन इलाकों में नदी या नाले नहीं हैं, वहां और आसपास रहने वाले जानवरों की प्यास बुझाने के लिए टाइगर रिजर्व में नए तालाब भी खोदे जा रहे हैं। इसे भरे रखने के लिए बोर और सोलर पंपों को इस्तेमाल में लिया जा रहा है। अभी तक 7 अंदरूनी इलाकों के तालाबों में सोलर पंप लगाए जा चुके हैं। भी गर्मी में यहां पानी लबालब है। आगे और भी नए तालाब खुदवाने की योजना है। यहां बोर और सोलर पंप की व्यवस्था के लिए वन विभाग सामाजिक संस्थाओं से संपर्क कर रहा है। कुछएक संस्थाएं कॉन्टैक्ट में भी हैं। उम्मीद है कि इस दिशा में भी जल्द काम शुरू हो जाएगा।

शिकार न हो इसलिए हर बीट में 10 झिरिया

ढेर सारे जानवर पानी पीने के लिए एक जगह पर इक_ा हो जाएं, तो शिकारियों के लिए यह जैकपॉट लगने से कम नहीं होगा। यही वजह है कि झिरिया खोदने की प्लानिंग बहुत सोच-समझकर की गई है। पूरे टाइगर रिजर्व में 143 बीट हैं। हर बीट में 10 ऐसी जगहों पर झिरिया खोदने कहा गया है, जो एक-दूसरे से दूरी पर हों। इसे ऐसे समझिए कि 100 चीतलों का झुंड अगर साथ घूम रहा है, तो 10-15 चीतल इस झिरिया, तो 10-15 चीतल उस झिरिया का पानी पीकर अपनी प्यास बुझाएंगे। इन झिरिया की निगरानी बीट गार्ड की जिम्मेदारी होगी।
हम चाहते हैं कि वन्य पशुओं को ज्यादा से ज्यादा पानी उनके इलाके में ही मुहैया कराया जाए, ताकि वे जंगल छोड़कर बाहर न आएं। मानव-प्राणी द्वंद कम करने के लिए भी यह जरूरी है।
– वरूण जैन, डिप्टी डायरेक्टर, उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व

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