सूखी नदियों के 2 से तीन फीट अंदर पानी मिल रहा
एकाध बारामासी नदी को छोड़ दें तो सभी बरसाती नदियां और नाले अप्रगैल आते तक सूख जाते हैं। हालांकि, सतह पर नजर आ रही रेत को 2 से 3 फीट खोदने पर पानी निकल आता है। वन विभाग ऐसी ही जगहों पर एवरेज 5 बाई 5 फीट के गड्ढे खोदकर झिरिया बना रहा है। इसमें बोरियों को रेत से बांधकर रख दिया जाता है। रेत के भीतर फ्लो होने वाला पानी धीरे-धीरे इसमें इकट्ठा हो जाता है। इसे आप अंडरग्राउंड चैकडेम भी कह सकते हैं। कई दूरस्थ गांवों में ग्रामीण भी आज तक इसी तरीके से अपनी प्यास बुझा रहे हैं।जहां नदी-नाले नहीं हैं वहां तालाब खुदवा रहे
जंगल के जिन इलाकों में नदी या नाले नहीं हैं, वहां और आसपास रहने वाले जानवरों की प्यास बुझाने के लिए टाइगर रिजर्व में नए तालाब भी खोदे जा रहे हैं। इसे भरे रखने के लिए बोर और सोलर पंपों को इस्तेमाल में लिया जा रहा है। अभी तक 7 अंदरूनी इलाकों के तालाबों में सोलर पंप लगाए जा चुके हैं। भी गर्मी में यहां पानी लबालब है। आगे और भी नए तालाब खुदवाने की योजना है। यहां बोर और सोलर पंप की व्यवस्था के लिए वन विभाग सामाजिक संस्थाओं से संपर्क कर रहा है। कुछएक संस्थाएं कॉन्टैक्ट में भी हैं। उम्मीद है कि इस दिशा में भी जल्द काम शुरू हो जाएगा।शिकार न हो इसलिए हर बीट में 10 झिरिया
ढेर सारे जानवर पानी पीने के लिए एक जगह पर इक_ा हो जाएं, तो शिकारियों के लिए यह जैकपॉट लगने से कम नहीं होगा। यही वजह है कि झिरिया खोदने की प्लानिंग बहुत सोच-समझकर की गई है। पूरे टाइगर रिजर्व में 143 बीट हैं। हर बीट में 10 ऐसी जगहों पर झिरिया खोदने कहा गया है, जो एक-दूसरे से दूरी पर हों। इसे ऐसे समझिए कि 100 चीतलों का झुंड अगर साथ घूम रहा है, तो 10-15 चीतल इस झिरिया, तो 10-15 चीतल उस झिरिया का पानी पीकर अपनी प्यास बुझाएंगे। इन झिरिया की निगरानी बीट गार्ड की जिम्मेदारी होगी।– वरूण जैन, डिप्टी डायरेक्टर, उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व