CG News: कलेक्टर की जांच को प्राचार्य क्रॉस करेंगे चेक
वैसे तो इस पद पर बैठने वाले का काम विभाग से जुड़े आंकड़ों का हिसाब-किताब रखना है। घोटाले के मुख्य आरोपी को शिक्षा विभाग ने गौरव गरियाबंद अभियान का नोडल अधिकारी भी बना रखा है। इसके तहत इन्हें
परीक्षाओं में खराब प्रदर्शन करने वाले स्कूलों पर कार्रवाई के साथ आकस्मिक जांच जैसे कई अधिकार दिए गए। अब भ्रष्टाचार छिपाने का खेल ऐसे कि खेलगढ़िया, यूथ और ईको क्लब घोटाले में 2023 में प्रशासन ने 300 से ज्यादा प्रधानपाठकों, संकुल समन्वयकों को गवाह बनाया है।
घोटाला 5 साल पुराना है और कलेक्टर की ओर से कार्रवाई की अनुशंसा को डेढ़ साल हो गए। इसके बावजूद शिक्षा विभाग कार्रवाई करने के बजाय उन्हें पावरफुल बनाकर पूरा जिला घूमा रहा है। ऐसे में इस बात की आशंका प्रबल हो जाती है कि ज्यादातर गवाह भय की वजह से बयान बदल दें या बयान देने के लिए आगे ही न आएं। संभव है कि इनमें से बहुतेरे गवाहों का तबादला हो गया हो। गवाह नहीं मिलने से केस भी कमजोर होगा।
कलेक्टर ने भ्रष्टाचार में जिसे पहली नजर में पूर्णत: दोषी मान लिया,
शिक्षा विभाग ने उसे नोडल अफसर के तौर पर जिलेभर में पावरफुल बनाकर खुद ऐसा संदेश दे दिया है कि गवाह बयान देने से पहले 100 बार सोचने को मजबूर हो जाएं।
रिपोर्टर: जिले के 10 सरकारी अंग्रेजी स्कूल अफसरों ने मनमर्जी से बंद कर दिए। रोहित: आप आत्मानंद स्कूलों की बात कर रहे हैं? रिपोर्टर: नहीं, रमन सरकार के कार्यकाल में सीबीएसई पैटर्न पर स्कूल खुले थे।
रोहित: इस बारे में मुझे अभी जानकारी नहीं है। आप बताइए क्या मामला है? रिपोर्टर: बिना किसी सरकारी आदेश इन स्कूलों को बंद कर गरीब बच्चों से उनका हक छीना गया। रोहित: हमारी सरकार में सरकारी योजना के लाभ से कोई वंचित नहीं रहेगा। मैं भरोसा दिलाता हूं।
रिपोर्टर: इन बंद स्कूलों में10 शिक्षकों की फर्जी भर्ती की गई। विभाग के पास चयन सूची नहीं है। रोहित: ऐसा है तो मामला गंभीर है। मैं खुद कलेक्टर से बात करूंगा। पूरे मामले की नए सिरे से जांच होगी।
2023 में मौजूदा कलेक्टर ने खेलगढ़िया, यूथ और ईको क्लब घोटाले की जांच कराइ थी। अपर कलेक्टर, डिप्टी कलेक्टर स्तर के अफसरों ने जांच की। तत्कालीन डीएमसी श्याम चंद्राकर को दोषी माना। फिर मौजूदा कलेक्टर ने अपने हस्ताक्षर से इस जांच रिपोर्ट को प्रमाणित करते हुए कार्रवाई के लिए फाइल शिक्षा विभाग को भेजी। यहां के अफसरों ने प्रक्रिया बताते हुए विभागीय जांच बिठा दी, जिसका डेढ़ साल तक अता-पता नहीं था।
अब डाइट के प्राचार्य को मामले में नया जांच अधिकारी बनाया गया है। वे मामले में 300 से ज्यादा गवाहों का दोबारा बयान लेने की बात कह रहे हैं। न्याय में बाधा बनने वाली विभाग की इस सरकारी प्रक्रिया की सबसे बड़ी विडंबना देखिए कि एक आईएएस अधिकारी की जांच रिपोर्ट को एक प्राचार्य क्रॉस चेक करेंगे। फिर तय होगा कि वाकई भ्रष्टाचार हुआ था या नहीं! मतलब नई जांच में बताया जाता है कि भ्रष्टाचार नहीं हुआ, तो कलेक्टर की रिपोर्ट झूठी साबित हो जाएगी।