1.40 अरब की जनसंख्या, लेकिन छोटे-छोटे देशों से पीछे
भारत की जनसंख्या भले ही 1.40 करोड़ के करीब है, लेकिन फुटबॉल जगत में हम छोटे-छोटे देशों से भी काफी पीछे हैं। सिर्फ उज्बेकिस्तान ही नहीं बल्कि जॉर्डन ने भी विश्व कप के लिए क्वालीफाई कर लिया है। उज्बेकिस्तान की जनसंख्या 3.57 करोड़, जबकि जॉर्डन की सिर्फ 1.14 करोड़ है। ऐसे में साफ है कि सिर्फ जनसंख्या ज्यादा होने से कुछ नहीं होता, देश में प्रतिभाएं होनी चाहिए।
क्वालीफाइंग राउंड में रहे फिसड्डी
भारतीय टीम फीफा वर्ल्ड कप 2026 एएफसी क्वालीफायर राउंड-2 के ग्रुप-ए में थी, लेकिन टीम छह मैचों में सिर्फ एक जीत हासिल कर सकी। फाइनल क्वालीफायर में कतर के खिलाफ मिली हार से भारतीय टीम की उम्मीद खत्म हो गई।
इन कारणों से पिछड़ रही भारतीय फुटबॉल
– भारतीय फुटबॉल के बुरे हाल के लिए अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) की खराब नीतियां जिम्मेदार हैं। पिछले चार दशक में भारतीय टीम के करीब 40 कोच रहे। इस दौरान एआइएफएफ घरेलू कोच विकसित करने में विफल रहा। भारत में अभी सिर्फ 26 प्रो-लाइसेंस प्रात कोच हैं। – देश में कोई प्रतिस्पर्धी लीग नहीं है। हालांकि 2014 में इंडियन सुपर लीग शुरू की गई।, लेकिन छह महीने तक चलने वाली यह लीग विश्व स्तर की नहीं रही। ये लीग दुनिया के शीर्ष खिलाड़ियों को आकर्षित करने में विफल रही।
– एआईएफएफ में तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप के कारण फीफा ने 2022 में उस पर प्रतिबंध लगा दिया। महासंघ की राजनीतिक और वित्तीय उथल-पुथल ने विश्वास का संकट पैदा कर दिया है। कई आई-लीग क्लबों ने प्रसारण के अधूरे वादों के कारण बहिष्कार की धमकी दी है।
– बाईचुंग भूटिया और सुनील छेत्री के अलावा कोई ऐसा फुटबॉलर नहीं है, जिसे वर्तमान पीढ़ी जानती हो। खिलाड़ियों में प्रतिभा की कमी नहीं है, लेकिन उनमें प्रतिबद्धता व जोश और जुनून की कमी साफ दिखाई देती है।
एकजुट प्रयास की जरूरत
पूर्व भारतीय फुटबॉलर रहीम नबी का कहना है कि यदि हम अभी भी नहीं संभले और हमने एकजुट होकर प्रयास नहीं किया तो भारतीय टीम 200 सालों तक विश्व कप के लिए क्वालीफाई नहीं कर सकती।
इन चीजों पर ध्यान देना होगा
भारतीय टीम को यदि आगे बढऩा है तो जमीनी स्तर के बुनियादी ढांचे में सुधार करना होगा। एआईएफएफ को आपसी झगड़े व विवादों से हटकर खेल की प्रगति पर ध्यान देना होगा। देश में कोचिंग के स्तर को सुधारने व युवाओं के लिए ज्यादा अकादमियां खोलनी होंगी।