पढ़ाई से लीडरशिप तक
राधाकृष्णन का जन्म तमिलनाडु के तिरुपुर में हुआ। बचपन से ही वे पढ़ाई में तेज थे। उन्होंने वीओ चिदंबरम कॉलेज, थूथुकुडी से बीबीए (बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन) किया। पढ़ाई के दिनों में ही वे सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं रहे। कॉलेज में उन्होंने टेबल टेनिस चैंपियन का खिताब भी जीता। खेलों से मिले आत्मविश्वास और टीमवर्क की भावना ने उन्हें आगे की राजनीति में नेतृत्व करना सिखाया।
युवावस्था और राजनीति की शुरुआत
सिर्फ 17 साल की उम्र में ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और जनसंघ से जुड़ गए थे। यह वही उम्र होती है जब ज्यादातर युवा पढ़ाई और करियर के बारे में सोचते हैं, लेकिन राधाकृष्णन ने समाज और राजनीति की राह चुनी। 1974 में उन्हें जनसंघ की राज्य कार्यकारिणी समिति में जगह मिली। यहीं से उनका राजनीतिक सफर मजबूती से शुरू हुआ।
राजनीति में संघर्ष और उपलब्धियां
1998 और 1999 में वे कोयंबटूर से सांसद बने। सांसद रहते हुए उन्होंने कपड़ा समिति और अन्य समितियों में सक्रिय काम किया। 2004 में वे संयुक्त राष्ट्र महासभा तक पहुंचे और भारत का पक्ष रखा। भाजपा तमिलनाडु अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने 93 दिन की रथ यात्रा निकाली, जो उनके संघर्ष और जनता से जुड़ाव को दिखाती है।
प्रशासनिक जिम्मेदारियां
2016 में कॉयर बोर्ड अध्यक्ष बनकर रिकॉर्ड निर्यात कराया। 2020-22 में केरल भाजपा प्रभारी बने। 2023 में झारखंड के राज्यपाल बने और सिर्फ 4 महीने में सभी 24 जिलों का दौरा कर डाला। 2024 में महाराष्ट्र के राज्यपाल बने और साथ ही कुछ समय के लिए तेलंगाना और पुडुचेरी की जिम्मेदारी भी संभाली।
हॉबीज और पर्सनल टच
राधाकृष्णन का व्यक्तित्व केवल राजनीति तक सीमित नहीं है। उन्हें खेलों से खास लगाव है, खासकर टेबल टेनिस। छात्र जीवन से ही वे टीमवर्क और अनुशासन के साथ चलने वालों में शामिल रहे। पढ़ाई, खेल और राजनीति का संतुलन उनकी लाइफस्टोरी को और दिलचस्प बनाता है।