CBSE ने सभी स्कूलों को आदेश दिया है कि वे मई अंत तक अपने स्कूलों में एक समिति का गठन करें। ये समिति छात्रों की भाषाई जरूरतों का आकलन करेगी और भाषा शिक्षण सामग्री तैयार करवाएगी।
सभी स्कूलों को इन दिशा निर्देशों का करना होगा पालन
–स्कूलों को जुलाई महीने से हर महीने की पांच तारीख तक NCF को रिपोर्ट भेजना होगा।
–जुलाई 2025 से पहले सभी शिक्षकों को ट्रेनिंग व वर्कशॉप पूरी की जानी चाहिए। इस ट्रेनिंग में बहुभाषी शिक्षण, मूल्यांकन और क्लासरूम स्ट्रैटजी पर फोकस किया जाना चाहिए।
–NCF में इस बात पर जोर दिया है कि स्कूलों में पढ़ाई-लिखाई की पहली भाषा (आर 1) छात्र की मातृभाषा या क्षेत्रीय/राज्य भाषा होनी चाहिए। जब तक किसी अन्य भाषा में बुनियादी साक्षरता हासिल न हो जाए तब तक आर1 को ही शिक्षण के माध्यम के रूप में इस्तेमाल करने की बात कही गई है।
नई योजना से क्या बदलाव आएगा
सीबीएसई का उद्देश्य है कि सभी स्कूल बहुभाषी और समावेशी शिक्षा को अपनाएं। सभी स्कूल दिशा निर्देश का पालन ठीक से करें यह सुनिश्चित करने के लिए अकादमिक पर्यवेक्षक स्कूलों का निरीक्षण कर सकते हैं। इससे छात्रों को अपनी भाषा में सीखने का अवसर मिलेगा।
क्या है एनसीएफ
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP) को लागू करने के लिए सरकार ने NCF पेश किया था। एनसीएफ में स्कूल करिकुलम को चार हिस्सों में बांटा गया है, फाउंडेशन स्टेज, प्रीपेरेटरी स्टेज, मिडिल स्टेज और सेकेंडरी स्टेज। फाउंडेशन स्टेज यानी कि 3-8 साल, प्रीपेरेटरी स्टेज 8 से 11 साल, मिडिल स्टेज 11-14 साल, सेकेंडरी स्टेज 14-18 साल।
पंजाब के स्कूलों में तेलुगु की पढ़ाई
पंजाब शिक्षा विभाग की ओर से राज्य के स्कूलों के लिए दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी), पंजाब ने पंजाब के सभी सरकारी स्कूलों को तेलुगु भाषा पढ़ाने के लिए भारतीय भाषा ग्रीष्मकालीन शिविर आयोजित करने के निर्देश जारी किए हैं। सभी स्कूलों में 26 मई से 5 जून तक के लिए समर कैंप आयोजित की जाएंगे। इस पहल के जरिए छात्रों को एक नई भारतीय भाषा में बेसिक बातचीत हासिल करने में मदद किया जाएगा। साथ ही इसका उद्देश्य है कि देशभर में सांस्कृतिक एकता की भावना को मजबूत करना।