दो पाली में हुई परीक्षा
दरअसल, शुक्रवार को दूसरी पाली में हुई निबंध की परीक्षा में राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय विषयों के साथ बिहार की स्थानीय लोकोक्तियों से संबंधित प्रश्न पूछे गए। बिहार की स्थानीय लोकोक्तियों जैसे कि ‘बनलेके साथी सब केहू ह अउरी बिगड़ले के केहु नाहीं’ और ‘जिअतेमाछी नाहीं घोंटाई’, ‘बाप क नाम साग पात आ बेटा क नाम परोर’ ‘जइसन बोअब ओइसने कटब’ जैसे लोकोक्तियों पर 700-800 शब्द लिखने में परीक्षार्थियों के पसीने छूट गए। 100 नंबर का पूछा गया निबंध
परीक्षार्थियों के लिए मुश्किल की बात ये थी कि खंड 3 के चार प्रश्न स्थानीय थे और विशेषकर लोकोक्तियों पर आधारित थे। इन चार में से एक का जवाब देना अनिवार्य था। परीक्षार्थी इन्हें छोड़ नहीं सकते थे। निबंध कुल 100 अंक के थे, जिससे साफ समझा जा सकता है कि इस सवाल का जवाब हल्के में देकर छुटकारा नहीं पाया जा सकता था। ऐसे में छात्रों के लिए यह निबंध परेशानी का सबब बन गया।
निबंध में पहले सेक्शन में चार प्रश्न थे
निबंध में पहले सेक्शन में चार प्रश्न थे, जिसमें ‘समकालीन वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारत की महत्ता’, दूसरा प्रश्न ‘देश का विकास और सूचना प्रौद्योगिकी’, तीसरा प्रश्न ‘पर्यावरण असंतुलन सृष्टि का विनाशक है’ व चौथा प्रश्न भूमि संरक्षण व जैविक खेती से संबंधित था। वहीं दूसरे पार्ट में पहला प्रश्न ‘राजनीतिक इच्छाशक्ति और देश की सुरक्षा’, दूसरा प्रश्न ‘भ्रष्टाचार का अंत और देश का उत्थान, तीसरा प्रश्न ‘शिथिल कानून और व्यवस्था नारी सशक्तीकरण की बाधा है’ व चौथा प्रश्न ‘विश्व-कल्याण आध्यात्मिक चेतना के बिना असंभव है’ पूछा गया।
पहली पाली में हिंदी का पेपर था
बीते रोज बीपीएससी की 70वीं मुख्य परीक्षा दो पालियों में आयोजित की गई। पहली पाली में सामान्य हिंदी विषय की परीक्षा हुई। ये परीक्षा क्वालीफाइंग परीक्षा थी। अगले राउंड में जाने के लिए इसमें केवल पास होना जरूरी था। सामान्य हिंदी में ज्यादातर सवाल व्याकरण से पूछे गए। वहीं निबंध का पेपर भी आसान रहा। केवल ग्रामीण लोकोक्तियों के कारण परीक्षार्थियों को थोड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ा।